RANCHI (JHARKHAND): राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने कमर कस ली है। इस कड़ी में स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत आने वाले सभी अस्पतालों में आउटसोर्स के माध्यम से सेवाओं को दुरुस्त किया जाएगा। इसके लिए झारखंड सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विभिन्न श्रेणी की सेवाएं लेने के लिए 325 करोड़ रुपये की योजना को स्वीकृति दी है। जिससे अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी।
मैनपावर की सीमा निर्धारित
स्वास्थ्य संस्थानों में आवश्यक मैनपावर की सीमा पूर्व में ही विभागीय संकल्प द्वारा निर्धारित की जा चुकी है। आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्ति इन्हीं सीमाओं के अंतर्गत होगी। नियमित या संविदा पर कार्यरत कर्मियों को घटाकर ही शेष रिक्तियों को भरने हेतु सेवा ली जाएगी। निर्धारित सीमा से अधिक कर्मियों की नियुक्ति पर संबंधित जिले के सिविल सर्जन जिम्मेदार होंगे। इसके अलावा आदेश में कहा गया है कि जहां नियमित अथवा एनएचएम के तहत संविदा कर्मी पहले से कार्यरत हैं, वहां इस योजना की राशि का उपयोग नहीं किया जाएगा। साथ ही योजना से संबंधित व्यय का लेखा पृथक रूप से संधारित किया जाएगा।
न्यूनतम मजदूरी से कम भुगतान नहीं
स्वीकृत आदेश में यह भी निर्देशित किया गया है कि आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से नियुक्त कर्मियों को श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से कम भुगतान नहीं किया जाएगा। साफ-सफाई के लिए अस्पतालों के कुल कारपेट एरिया को आधार मानते हुए खुली निविदा आमंत्रित की जाएगी तथा मेडिकल कॉलेज की तरह व्यवस्था लागू की जाएगी। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य उपकेंद्रों में साफ-सफाई की व्यवस्था एनएचएम द्वारा प्रदान की गई अनटाइड फंड से की जाएगी। यदि वहां आउटसोर्सिंग के माध्यम से सफाईकर्मी नियुक्त किए जाते हैं, तो उस स्थिति में भुगतान के लिए निकासी और व्ययन पदाधिकारी पूरी तरह जिम्मेदार होंगे।
सिक्योरिटी में रखे जाएंगे होमगार्ड
सुरक्षा कार्यों के लिए होमगार्ड या सेवानिवृत्त सैनिकों की सेवा ली जाएगी जो शारीरिक एवं मानसिक रूप से सक्षम हों। सभी आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की उपस्थिति बायोमीट्रिक से दर्ज की जाएगी। साथ ही उनके प्रमाणपत्र, आधार, खाता संख्या, ईपीएफ, बीमा एवं बैंक स्टेटमेंट आदि की जानकारी प्रतिमाह देना अनिवार्य होगा। नर्सिंग सेवाओं के लिए झारखंड नर्सिंग काउंसिल और पारा मेडिकल सेवाओं के लिए झारखंड पारा मेडिकल काउंसिल से पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। तकनीकी योग्यता के फर्जी प्रमाण पत्र पाए जाने पर संबंधित एजेंसी भी उत्तरदायी मानी जाएगी। सरकार ने स्पष्ट किया है कि नई एजेंसी की नियुक्ति के साथ ही पुरानी व्यवस्था को बिना व्यवधान के समाप्त किया जाए ताकि अस्पतालों की सेवा व्यवस्था प्रभावित न हो।
READ ALSO: RANCHI NEWS: रिंग रोड पर पलट गया शराब लदा वाहन, जानें फिर क्या किया लोगों ने