रांची: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) की सदस्य डा. आशा लकड़ा ने मंगलवार को सिरमटोली स्थित केंद्रीय सरना स्थल के समीप बनाए गए सिरमटोली-मेकान फ्लाईओवर रैंप का निरीक्षण किया। निरीक्षण के पश्चात उन्होंने प्रोजेक्ट भवन में आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार की अनुपस्थिति पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा समन जारी कर बुलाने पर भी प्रधान सचिव का बार-बार अनुपस्थित रहना आयोग के दिशा-निर्देशों की अवहेलना है।
स्थगित कर दी गई बैठक
डा आशा लकड़ा ने कहा कि जब आयोग की टीम रांची पहुंची है और बैठक का आयोजन किया गया है। ऐसे में संबंधित अधिकारी की गैरमौजूदगी से कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सकता। इसी वजह से बैठक स्थगित कर दी गई। उन्होंने निर्देश दिया कि आयोग की ओर से भेजे गए नोटिस का जवाब समय पर दिया जाए, ताकि सरना स्थल के समीप किए गए निर्माण कार्य की समीक्षा कर उचित निर्णय लिया जा सके।
आयोग ने दिया सीएस को निर्देश
मुख्य सचिव अलका तिवारी ने आश्वस्त किया कि आयोग के सुझावों पर आधारित रिपोर्ट तैयार कर पथ निर्माण विभाग को भेजी जाएगी ताकि आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। निरीक्षण के दौरान डा आशा लकड़ा ने कहा कि फ्लाईओवर के दो पिलर के बीच 12 मीटर की दूरी और 300 मीटर लंबा रैंप बनाया गया है, लेकिन इस निर्माण से सरहुल त्योहार के दौरान केंद्रीय सरना स्थल तक आदिवासी समाज की पहुंच बाधित हो रही है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि रैंप की जगह नई तकनीक का उपयोग करते हुए पिलर का निर्माण कराया जाए और स्थल की ऊंचाई बढ़ाई जाए, ताकि शोभायात्रा के दौरान किसी प्रकार की परेशानी न हो।
डीपीआर में की गई अनदेखी
डा आशा लकड़ा ने यह भी आरोप लगाया कि फ्लाईओवर का डीपीआर बनाते समय अधिकारियों ने केवल रेलवे लाइन और पेट्रोल पंप को ध्यान में रखा। जबकि केंद्रीय सरना स्थल जैसी महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर की उपेक्षा की गई। उन्होंने कहा कि सरना स्थल आदिवासी समाज की आस्था और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, और उसका संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया कि आदिवासी समाज की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया जाए, जिससे राज्य की आदिवासी बहुलता और पहचान भी सुरक्षित रह सके।