तेलंगाना : नागरकुरनूल जिले में श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना के निर्माण कार्य के दौरान एक बड़ा हादसा हुआ। सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढहने से 8 मजदूर फंस गए और उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए बचाव कार्य तेज़ी से चल रहे हैं। हालांकि, इस दौरान कई मुश्किलें आ रही हैं, जिनमें कीचड़ से भरी सुरंग और पानी की तेज़ धारा प्रमुख है।
तेलंगाना में टनल का हिस्सा धंसने के बाद 8 वर्कर्स को बचाने की जद्दोजहद जारी है। सेना के साथ-साथ NDRF और SDRF की टीमें भी जी-जान लगाकर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई हैं। अब भी रेस्क्यू में कई बड़ी चुनौतियां सामने आ रही हैं। हालांकि, थोड़ी राहत की बात यह है कि रेस्क्यू टीम टनल के 13 किलोमीटर अंदर उस स्थान तक पहुंच गई है, जहां पर सुरंग का हिस्सा धंसा है. लेकिन कीचड़ और पानी रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी बाधा बन रहे हैं।
घटनास्थल पर बचाव कार्य में आ रही कठिनाई
श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग के ढह चुके हिस्से तक पहुंचने में बचाव दल को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, सुरंग की छत ढहने के कारण सुरंग के अंदर जाने का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया है। इसके अलावा, कीचड़ से भरी सुरंग के कारण बचाव दल की गतिविधियां और भी जटिल हो गई हैं। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें सुरंग के अंदर मलबे का निरीक्षण करने के बाद वापस लौट आईं, क्योंकि रास्ता बहुत ही कठिन और खतरनाक था।
राहुल गांधी ने भी CM रेड्डी से की बात
इस हादसे को लेकर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और सीनियर कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने आज तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से फोन पर बात की। करीब 20 मिनट तक दोनों की बीच हुई बातचीत में सीएम रेड्डी ने राहुल गांधी को रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में विस्तार से बताया। इस दौरान राहुल गांधी ने फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के लिए सभी जरूरी प्रयास करने के लिए कहा।
हादसा कैसे हुआ
शनिवार सुबह, टनल बोरिंग मशीन के साथ 50 से अधिक श्रमिक सुरंग के अंदर काम कर रहे थे। ये लोग सुरंग के भीतर 13.5 किलोमीटर तक गए थे, तभी अचानक तेज़ पानी के बहाव के कारण सुरंग का एक हिस्सा ढह गया। इस हादसे में दो इंजीनियर और छह श्रमिक फंसे, जबकि बाकी 42 श्रमिक सुरंग के बाहर भागने में सफल रहे। सुरंग का ऊपरी हिस्सा ढहते वक्त मिट्टी और पानी का मलबा भरकर सुरंग में फंस गया, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई।
बचाव कार्य में भारी समस्या
नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) के डिप्टी कमांडर सुखेंदु ने कहा कि सुरंग के अंदर 13 किलोमीटर के इलाके में से 11 किलोमीटर लोकोमोटिव पर और बाकी 2 किलोमीटर कन्वेयर बेल्ट पर तय किया गया। जब वे टनल बोरिंग मशीन के अंत तक पहुंचे, तो उन्होंने फंसे हुए श्रमिकों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई आवाज नहीं आई। मलबे में 200 मीटर का एक पैच भरा हुआ था और जब तक इसे साफ नहीं किया जाता, तब तक फंसे हुए श्रमिकों का सही स्थान नहीं पता चल सकता।
फंसे हुए श्रमिकों के राहत और बचाव के इंतजाम
फंसे हुए श्रमिकों में उत्तर प्रदेश, झारखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के लोग शामिल हैं। सरकार ने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरंग में हवा का प्रबंध किया है और जीवन रक्षक उपकरणों से लैस बचाव दल भेजे हैं। इसके अलावा, पानी को निकालने के लिए हाई कैपेसिटी पंप्स और बख्तरबंद होज भेजी जा रही हैं, ताकि सुरंग के भीतर पानी को निकाला जा सके और मलबा साफ किया जा सके।
सरकार और अन्य सहायता की पहल
तेलंगाना के सिंचाई मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि राज्य सरकार विशेषज्ञों की मदद ले रही है, जिनमें उत्तराखंड में पिछले साल इसी तरह की घटना में बचाव कार्य करने वाले विशेषज्ञ भी शामिल हैं। बचाव कार्य में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के अलावा सेना की भी मदद ली जा रही है। राज्य के सांसद मल्लू रवि ने बताया कि 145 एनडीआरएफ कर्मी और 120 एसडीआरएफ कर्मी बचाव कार्य में लगे हुए हैं और सुरंग के अंदर ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है।
प्रधानमंत्री का ध्यान और राहुल गांधी की चिंता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी से बात की और राज्य सरकार को केंद्र से पूरी सहायता का आश्वासन दिया। इसके अलावा, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस घटना पर चिंता जताई। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि राज्य सरकार बचाव दलों के साथ मिलकर फंसे हुए लोगों को बचाने की पूरी कोशिश कर रही है।