चक्रधरपुर : दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर रेल मंडल में शनिवार को जमकर बवाल हुआ। यहां ओडिशा के राउरकेला जिले में बिसरा प्रखंड के बंडामुंडा पंचायत क्षेत्र में डूमरता रेलवे स्टेशन से राउरकेला स्टील प्लांट तक बिछाई जा रही रेलवे लाइन के निर्माण का विरोध उग्र हो गया और प्रदर्शनकारियों की पुलिस से भिड़ंत हो गई। इस घटना में एक ग्रामीण की मौत हो गई और एक दर्जन से अधिक घायल हैं।
इस रेल लाइन के निर्माण का ग्रामीण ढाई महीने से विरोध कर रहे थे। इससे इलाके में तनाव का माहौल था। इस बीच शुक्रवार को प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में बरकानी में एक नया कार्य आरंभ किया गया था। इसकी जानकारी मिलने पर ग्रामीणों ने मौके पर पहुंच कर निर्माण कार्य रोक दिया था। लेकिन शनिवार की सुबह पुनः निर्माण कार्य आरंभ किए जाने पर करीब 11 बजे फिर ग्रामीण कार्यस्थल पर जुट गए। उन्होंने इस निर्माण कार्य को बंद करने को कहा। इसके बाद ग्रामीण और पुलिस के बीच झड़प हुई।
जेसीबी के आगें लेट गए थे विरोध कर रहे ग्रामीण

कई ग्रामीण जेसीबी के सामने लेट गए। इसी दौरान, एक जेसीबी बरकानी गांव के 35 वर्षीय एतो एक्का के ऊपर चढ़ गई। एतो एक्का ने मौके पर दम तोड़ दिया। एतो एक्का की मौत के बाद ग्रामीण उग्र हो गए। ग्रामीणों ने पथराव कर दिया। इस पथराव में बिसरा के सहायक तहसीलदार पुरुषोत्तम नायक, पुलिस कांस्टेबल मनोरंजन दास, राकेश महाराणा, जेसीबी चालक सैमुएल मासी समेत अन्य पांच पुलिस कर्मी घायल हो गए। सभी घायलों को इलाज के लिए राउरकेला सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पथराव के बाद घटनास्थल पर पहुंचे डीआईजी व एसपी
घटना की सूचना मिलते ही पश्चिमांचल डीआईजी बृजेश कुमार राय,राउरकेला एसपी नीतेश वादवाणी समेत पानपोश उपजिलापाल विजय कुमार नायक घटनास्थल पर पहुंचे। अधिकारियों ने आक्रोशित ग्रामीणों से बातचीत की। उधर ग्रामीण के मौत की खबर जंगल की आग की तरह इलाके में फैल गई। इसकी जानकारी होते ही बरकानी समेत आसपास के हजारों आदिवासी घटनास्थल पर एकत्र हो गए। घटनास्थल पर बढ़ते तनाव को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने घटनास्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया।
ग्रामीणों ने लगाया बिना मुआवजा दिए रेल लाइन बिछाने का आरोप
ग्रामीणों का कहना है कि रेलवे उन्हें उनकी जमीन का मुआवजा दिए बिना ही इलाके में रेल लाइन बिछाने का काम कर रहा है। इसी वजह से वह इस काम का विरोध कर रहे हैं। घटना के बाद आदिवासी ग्रामीणों में गुस्से का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि जिस देश के राष्ट्रपति और जिस राज्य का मुख्यमंत्री खुद आदिवासी है, उस देश व राज्य में एक आदिवासी युवक को अधिकारियों के सामने ही जेसीबी से मौत के घाट उतार दिया गया।
पुराने समझौते को पूरा करने की उठाई मांग

गुस्साए ग्रामीण मृतक एतो एक्का के शव को रख कर धरना दे रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि 2006 में कूकड़ा रेल फाटक पर आदिवासी ग्रामीणों के द्वारा किए गए तीन दिवसीय स्ट्राइक के दौरान तत्कालीन आरडीसी,रेलवे विभाग के अधिकारी, राउरकेला इस्पात कारखाना के अधिकारी और आदिवासी ग्रामीणों के मौजूदगी में एक लिखित समझौता किया गया था। इसमें लिखा गया था कि जिस जमीन को रेलवे और आरएसपी ने इस्तेमाल नहीं किया है,उन सभी जमीन को ग्रामीणों को वापस लौटा दिया जाएगा। साथ ही जिन ग्रामीणों की जमीन को रेलवे और आरएसपी ने ले लिया है। उन ग्रामीणों को नौकरी दी जाएगी। लेकिन पिछले 19 सालों में भी इस समझौता को पूरा नहीं किया गया है। ग्रामीणों की मानें तो जब तक उस लिखित समझौता को पूरा नहीं किया जाएगा तबत क ग्रामीण मृत एतो एक्का का शव को उठाने नहीं देंगे।