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Sedition law : क्या है राजद्रोह कानून, जिसपर छिड़ा हुआ है विवाद?

by Rakesh Pandey
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सेंट्रल डेस्क: Sedition law : सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता यानि आईपीसी की धारा 124A के तहत राजद्रोह कानून की वैधता पर चुनौती देने वाली याचिकाओं के मामले को आगे बढ़ा दिया है। इसके तहत, सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की संविधान पीठ को मामला सौंपने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही, कोर्ट ने केंद्र सरकार की मांग को भी ठुकरा दिया है जिसमें संसद द्वारा दंड संहिता के प्रावधानों को फिर से लागू किए जाने की बात थी। यह फैसला एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है और राजद्रोह कानून की वैधता पर बहस को आगे भी ले जाएगा।

क्या है राजद्रोह कानून?

राजद्रोह कानून (Sedition Law) को भारतीय दंड संहिता यानि IPC की धारा 124ए में परिभाषित किया गया है। भारत में सरकार के खिलाफ विरोध करने या सरकारी प्राधिकृति का अपमान करने के मामले इसके तहत आते हैं। साथ ही, अगर कोई व्यक्ति सरकार के खिलाफ बातें लिखता, बोलता है, या उसका समर्थन करता है, तो उसके खिलाफ भी आईपीसी की धारा 124ए के तहत राजद्रोह का मामला दर्ज किया जा सकता है। इतना ही नहीं, अगर किसी व्यक्ति का संबंध देश विरोधी संगठन से होता है, तो उसके खिलाफ भी राजद्रोह का केस दर्ज हो सकता है।

ब्रिटिश शासन में लागू किया गया

इस कानून को अंग्रेजों के शासनकाल 1870 में लागू किया गया था और उस समय इसे ब्रिटिश सरकार के विरोध करने वाले लोगों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता था। सरकार से विद्रोह करनेवालों के खिलाफ इसी कानून के तहत मुकदमा चलाया जाता था। यदि किसी व्यक्ति पर राजद्रोह का केस दर्ज होता है, तो वह सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकता है। इस प्रावधान की अवहेलना करने पर सजा हो सकती है। राजद्रोह एक गैर-जमानती अपराध होता है, और इसमें विभिन्न प्रकार की सजाएं और जुर्माने का प्रावधान होता है।

5 साल में देशद्रोह के 356 केस

2015 से 2020 के बीच, देशद्रोह की धाराओं में 356 केस दर्ज किए गए थे। इसके तहत 548 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, इस अवधि में केवल 12 लोगों को दोषी साबित किया गया। इस पर्याप्त गंभीरता से देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को यह निर्देश दिए कि वे इस कानून की समीक्षा करे। इस निर्देश का मकसद यह है कि देशद्रोह की धाराएं संविधान के साथ मेल खाएं और न्यायपूर्ण रूप से लागू की जाएं।

राजद्रोह कानून में क्या हो सकती है सजा?

राजद्रोह कानून के तहत, एक व्यक्ति को अगर राजद्रोह के आरोप में पाया जाता है तो उसे कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसका दोहरा प्रभाव होता है, सजा के रूप में और व्यक्तिगत जीवन पर।

कारावास की सजा

राजद्रोह के आरोप में यदि किसी को दोषी पाया जाता है, तो उसे सजा मिलती है। सजा का प्रावधान तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकता है। यह सजा कारावास की अवधि और आपत्तियों के आधार पर निर्धारित की जाती है।

क्या होता है जुर्माना?

दोष सिद्ध होने पर अपराधी को सजा के साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है। जुर्माने की राशि भी मामले प्रकृति और गंभीरता के आधार पर निर्धारित की जाती है।

सरकारी नौकरी का प्रतिबंध

राजद्रोह के आरोप में सिरकार विरोधी आदिकारक गतिविधियों के पर्याप्त सबूत होने पर आरोपी को सरकारी नौकरी के लिए प्रतिबंधित किया जाता है। इसका मतलब है कि उसकी सरकारी नौकरी के लिए किसी भी प्रकार की आवेदन नहीं की जा सकती है।

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पासपोर्ट पर प्रतिबंध

आरोपी को अपने पासपोर्ट के बिना रहना पड़ता है, और यदि वह बाहर जाना चाहता है, तो सरकार की अनुमति के बिना यह संभावना नहीं है।

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