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Jharkhand shaharnama : शहरनामा : हेलमेट-टोपी की रार

by Birendra Ojha
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सिर पर हर एक को कुछ न कुछ पहनना ही है। यकीन नहीं हो तो जहां हेलमेट चेकिंग हो रही हो, कुछ देर दूर से खड़े होकर देखते रहिए। आप देखेंगे कि जिसने सिर पर कुछ नहीं पहना है, उस पर टोपी वाले कैसे झपटते हैं। यदि आप देखने में सीधे-सादे लग रहे हैं, तो निश्चित जानिए कि आप पर टोपी की कुदृष्टि पड़ चुकी है। बिना कुछ दिए छुटकारा नहीं मिलेगा। आपको इस पर शोध करना पड़ेगा कि हेलमेट की टोपी से इतनी रार क्यों है। वैसे सिर्फ बाइक वाले इनके शिकार नहीं बनते हैं, इनकी बुरी नजर कार व ऑटो-टेंपो वालों पर भी रहती है। दो दिन पहले की ही बात है, साकची में एक ऑटो वाले को लंबू टोपी वाला कॉलर पकड़कर इस तरह घसीट ले गया, जैसे वह कोई हत्यारा हो। वह गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन 500 रुपये लेने के बाद ही टोपी वाला पसीजा।

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एक पत्नी को कम मिला

बात सड़क की हो रही है, तो लगे हाथ बता दें कि पिछले दिनों दो लोग एक बाइक पर सवार थे और दुर्घटना के शिकार हो गए। खैर होनी को जो मंजूर था, वही हुआ, लेकिन इसके बाद की कहानी बड़ी रोचक है। ऐसा सुनने में कम ही आता है कि सड‍़क दुर्घटना के शिकार हुए लोगों के परिवार की कोई आर्थिक मदद करता है। इस मामले में मदद करने वाले आगे आए। इनमें से एक मृतक की दो पत्नी थी, लेकिन दान देने वालों ने एक पत्नी को कम और दूसरे को ज्यादा रुपये दिए। अब दूसरी पत्नी के दिल पर क्या बीत रही होगी, वह तो वही जाने। लेकिन, सुनने वाले इस बात पर हैरान हैं कि दानदाता के मन में ऐसा ख्याल क्यों और कैसे आया। उसने दोनों को समान राशि क्यों नहीं दी। वैसे यह बात पूछी नहीं जा सकती है।

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एक दल में लग रही सेंध

पिछला विधानसभा चुनाव भूतो न भविष्यति के लिए याद किया जाएगा। वैसे तो हर चुनाव में कुछ न कुछ संयोग-दुर्योग होते हैं, लेकिन यह चुनाव इसलिए याद किया जाएगा कि जिसने एक दल की जड़ में मट्ठा डालने की कसम खायी थी, वह अपना संकल्प पूरा करता दिख रहा है। मजबूरी में ही सही, दूसरा दल अंदर से कराहते हुए हंसने का दिखावा कर रहा है। यह तब है, जब उसके दल के सिपाही धीरे-धीरे पाला बदलते जा रहे हैं। सब कुछ जानते हुए भी दूसरा दल किंकर्तव्यविमूढ़ बना हुआ है। अपनी आंखों के सामने अपनी बगिया लुटता उजड़ता हुआ देख रहा है। इसी घटनाक्रम में वैसे लोगों के दिन भी फिर गए, जो तड़ीपार घोषित कर दिए गए थे। उन्हें पुराने दल में अछूत मान लिया गया था, लेकिन अब उन्हें वही लोग गले लगा रहे हैं, जो पीठ पीछे जमकर गरियाते थे।

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स्कॉटलैंड पुलिस भी शरमा गई

पूरी दुनिया में स्कॉटलैंड पुलिस को सबसे तेजतर्रार माना जाता है। घटना का उद्भेदन करने में उसका कोई सानी नहीं। लेकिन, पिछने दिनों यहां की पुलिस ने जिस तत्परता से कार्रवाई की, उसका कारनामा सुनकर तो निश्चित ही स्कॉटलैंड पुलिस भी शरमा गई होगी। हुआ यूं कि एक बिल्डर सरकारी जमीन पर ड्रेनेज सिस्टम या नाली बना रहा था, वह भी बिना अनुमति के। इस बात का विरोध नेताजी ने किया, तो बिल्डर को अपनी शान में गुस्ताखी लगी। उसने थाना में लिखित शिकायत कर दी।

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ऐसा लगा कि पुलिस इसी का इंतजार कर रही थी। उसने 12 घंटे में ही नेताजी को कुख्यात अपराधी की तरह शातिराना अंदाज में न केवल दबोच लिया, बल्कि भारी दबाव के बावजूद लालकोठी भी भेज दिया। चार दिन पहले समर्थक फूल-माला, लड्डू, गाजा-बाजा लेकर बड़े उत्साह से जेल गए थे। बेचारे को अब तक जमानत नहीं मिली।

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