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पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी, हेमंत सरकार को फिर से बहाल करने की मांग

by The Photon News Desk
Shailendra Mahto Letter
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जमशेदपुर/Shailendra Mahto Letter : जमशेदपुर के पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्टी लिखी है, जिसमें उन्होंने हेमंत सरकार को फिर से बहाल करने की मांग रखी है। महतो ने लिखा है कि मोदी जी, झारखंड संघर्ष की धरती रही है। यहां मुगल व ब्रिटिश काल से शोषण, अन्याय,जुल्म के खिलाफ बगावतें होती रही हैं।

पिछले दिनों हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी जिस अलोकतांत्रिक एवं अन्यायपूर्वक हुई है, उसके जवाब में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन (गृहिणी) जनता के बीच झंडा बुलंद करने के लिए बाध्य हुई । उन्होंने अपने संघर्ष को आगे बढ़ा दिया है। उनकी आंखों में गम के नहीं, क्रांति के आंसू छलक रहे हैं। आज मैं इन्हीं सवालों को लेकर आपको पत्र लिख रहा हूं।

Shailendra Mahto Letter : कभी बिहार का मुख्य विपक्षी दल था झामुमो

मैं नम्रतापूर्वक आपसे कहना चाहता हूं कि बहुत लंबी लड़ाई के बाद झारखंड राज्य मिला था। सन 2000 में तीन राज्य बने थे, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड।‌ इसमें झारखंड की कहानी छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड से अलग है। वर्षों से शोषण, लूटपाट और गरीबी के चंगुल में फंसे आदिवासी- मूलवासी झारखंडी जनता को झारखंड राज्य के निर्माण में ही अपनी मुक्ति और विकास दिखाई देने लगा। झारखंड आंदोलन का इतिहास संघर्षपूर्ण रहा है। सैकड़ों लोग बलिदान हुए। जयपाल सिंह के जमाने में झारखंड पार्टी बिहार में मुख्य विपक्ष की भूमिका में थी।

इसके बाद विनोद बिहारी महतो और शिबू सोरेन के नेतृत्व में झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी का गठन हुआ। इसके बाद पार्टी के अध्यक्ष निर्मल महतो बने और उनकी शहादत हो गई। मैं भी इस पार्टी का महासचिव और झारखंड आंदोलन का अगुआ रहा। वर्तमान में झारखंड मुक्ति मोर्चा, झारखंड राज्य की बड़ी पार्टी है और इस पार्टी के नेता सांसद शिबू सोरेन हैं।

हेमंत के दादा ने भी दिया था बलिदान

ज्ञात हो कि शिबू सोरेन के बेटे पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज तथाकथित करप्शन के मामले में जेल में बंद है। हेमंत सोरेन कौन हैं। सर्वविदित है कि हेमंत सोरेन उस परिवार से है जिनके दादा सोबरन माझी को महाजनों ने टुकड़ों- टुकड़ों में काटकर फेंक दिया था। वे एक शिक्षक एवं स्वतंत्रता सेनानी थे।
झारखंड अमीर, झारखंडी गरीब झारखंडी लोग गरीब हैं, लेकिन झारखंड की जमीन के ऊपर और नीचे अपार धन दौलत है। आज से नहीं, बल्कि ब्रिटिश काल से शासकों और पूंजीपतियों की गिद्ध दृष्टि पड़ी रहती है।

वे सभी लूटना चाहते हैं। झारखंड वर्षों से उपनिवेश रहा और आज भी झारखंडी लोगों पर उपनिवेशवादी शासन बनाए रखना चाहते हैं, जिसका प्रमाण झारखंडी जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के एक आदिवासी मुख्यमंत्री को अनावश्यक ढंग से दोषारोपण कर झारखंड में लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है। सत्ता की भूख बहुत खतरनाक है। विगत दिनों की घटना, जिसमें मुख्यमंत्री पद पर आसीन हेमंत सोरेन को ईडी द्वारा पूछताछ एवं जिस तरीके से उनका राजभवन में त्यागपत्र लिया गया और गिरफ्तार किया गया, ने लोकतंत्र को झकझोर दिया। जिस केस में गिरफ्तार की गई है, वह भूईंहारी जमीन से संबंधित है, जबकि कानूनी दायरे में भूईंहरी प्रकृति वाली जमीन की खरीद-फरोख्त नहीं हो सकती है।

सीबीआई-ईडी का दोहरा मापदंड

शैलेंद्र महतो आगे लिखते हैं, मोदी जी, आपसे मैं जानना चाहता हूं कि आपका भ्रष्टाचार का पैमाना क्या है। आपने देश के कई भ्रष्टाचारियों को अपने साथ लाकर माफ किया है और आपके साथ जो जाना नहीं चाहते, उन्हें भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर जेल में बंद कर दिया। मैं कहना चाहूंगा कि आदिवासी में करप्शन ‌का पेट नहीं होता है। हेमंत करप्शन का अंग नहीं है, लेकिन इसके पूर्व की सरकारों में बड़े-बड़े घोटाले हुए हैं, जिसकी कहानी या लेखा-जोखा जमशेदपुर के विधायक सरयू राय ने ईडी को सौंपी है। रघुवर सरकार में सरयू राय एक मंत्री था।

उन्होंने अपने ही सरकार का पोल खोला है। उन्होंने जमशेदपुर में 10 मार्च 2024 को आयोजित अपने ही पार्टी कार्यकर्ता सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा “मैं जिस सरकार में मंत्री था, उस सरकार में भ्रष्टाचार के 35 मामले हुए। उन 35 में से कुछ मामलों को मैंने उठाया, क्योंकि मैंने मंत्री रहते उन मामलों को उठाया तो मुझे भारतीय जनता पार्टी ने टिकट नहीं दिया। उन्होंने कहा- भ्रष्टाचार पर सीबीआई व ईडी का दोहरा मापदंड नहीं चलेगा। अगर ईडी पक्षपात नहीं करती तो दोनों पूर्व मुख्यमंत्री को बुलाकर पूछताछ करती।”

हवा-हवाई न रह जाए हेमंत की गिरफ्तारी का उद्देश्य

हेमंत सोरेन भी एक आदिवासी है, इन्हें जेल में रखकर बीजेपी क्या साधना चाहती है। मुझे लगता है बीजेपी जिस उद्देश्य,मकसद से हेमंत सोरेन को जेल में बंद किया है वह सिर्फ हवा-हवाई बना रहेगा। मोदीजी, मैं मानता हूं कि आपके नेतृत्व में देश में विकास के कार्य आगे बढ़ रहे हैं लेकिन एक ओर सृजन और दूसरे ओर दमन नहीं हो सकता। अतः आप से अनुरोध है कि झारखंड राज्य के पिछड़े एवं गरीब आदिवासी- मूलवासी झारखंडी जनता की चुनी हुई हेमंत सरकार को फिर से बहाल की जाय।

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