.देवघर : श्रावणी मेला में शिव, सावन और चार सोमवार का संगम है। सावन के चौथे दिन 14 जुलाई 2025 को पहला सोमवार पड़ा है। सावन महीना नौ अगस्त को समाप्त होगा और 4 अगस्त को चौथा सोमवार पड़ेगा। बाबा बैद्यनाथ का मंदिर कोलकाता से आए फूलों से सजा हुआ है। फूल की खुशबू, धूप-दीप से निकल रहा धुंआ वातावरण को और भी पवित्र बना रहा है। प्रात:कालीन पूजा के बाद आम भक्तों की कतार चलनी शुरू हो गयी। हर हर महादेव का जयघोष हो रहा है। बोल बम… का नारा तो थमने का नाम नहीं ले रहा है। 2 लाख से अधिक भक्त देवघर पहुंच गए हैं। लंबी कतार लगी हुई है। सुरक्षा बल क्यू को सुगम तरीके से आगे बढ़ाने में लगे हैं।
डीसी नमन प्रियेश लकड़ा देर रात से व्यवस्था को व्यवस्थित बनाने में जुटे एक एक प्वाइंट के अधिकारी को अलर्ट करते रहे। जिला प्रशासन अधिक से अधिक भक्तों को पूजा कराने के लिए कतार को तेजी से आगे बढ़ाने में है। मंदिर में अरघा के निकट तैनात सुरक्षाबल के जवान श्रद्धालुओं को बार बार ताकीद कर रहे हैं कि बाह्य अरघा में भोलेनाथ को जलार्पण करें। इसके लिए अलग से सुरक्षा बलों के साथ साथ दंडाधिकारी को लगाया गया है। मेला क्षेत्र और खासकर रूटलाइन में देर रात से ही 25 क्यूआरटी टीम लगी है।

कतार में कहीं भी भीड़ को एकत्रित नहीं होने दिया जा रहा है। एआई आधारित 200 कैमरों से निगरानी हो रही है। बता दें कि मेला क्षेत्र में 13 हजार सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। ऐसे तो डयूटी पाली में बंटी है। लेकिन, सोमवार को भीड़ काे देखते हुए डयूटी की सीमा बढ़ा दी जाती है। एक की बजाय दो-दो शिफ्ट भी डयूटी करनी पड़ सकती है। मकसद सुरक्षित और सुलभ जलार्पण प्रशासन की प्राथमिकता है।
Deoghar Shravani Fair : शिव का विशेष दिन है सोमवार
कहते हैं कि सोमवार का दिन शिव का विशेष दिन है। यही कारण है कि सोमवार को भक्तों का सैलाब उमड़ जाता है। चारों ओर हर हर बम बम… और हर हर महादेव… गूंज रहा है। सावन का पहला सोमवार है। पहले ही दिन भक्तों की लंबी कतार लग गयी है। सुबह होने की प्रतीक्षा किसी भी शिवभक्त ने नहीं की। देर रात ही वह मंदिर जाने का रास्ता खोजने लगे।
सावन के पहले दिन से ही अरघा से जलार्पण की व्यवस्था है। भक्त सुबह से ही अरघा से जलार्पण कर रहे हैं। मंदिर प्रांगण में तीन बाह्य अरघा लगाया गया है। यह उनलोगों के लिए मददगार होता है जो लंबी कतार में लगने से लाचार हैं। प्रशासनिक इंतजाम पुख्ता रखा गया है।
Deoghar Shravani Fair : चिताभूमि के बैद्यनाथ की महिमा विराट
देश में सबसे श्रेष्ठ हैं चिताभूमि में बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग चिताभूमि के बैद्यनाथ की कथा निराली है। महिमा विराट है। आदि शंकराचार्य ने लिखा है कि जो पूर्वाेत्तर दिशा में चिताभूमि के भीतर सदा ही गिरिजा के साथ वास करते हैं, देवता और असुर जिनके चरण कमलों की आराधना करते हैं उन श्री बैद्यनाथ को प्रणाम करता हूं। चंद्रचूड़ामणि पीठ में लिखा है कि बैद्यनाथधाम में शिव-शक्ति का आलय और देवालय है। इसलिए कहा जाता है कि यहां शिव-शक्ति एक साथ विराजमान हैं। बैद्यनाथधाम भारत वर्ष का आध्यात्मिक और धार्मिक केंद्र रहा है। शिव महापुराण में बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को सर्वश्रेष्ठ ज्योतिर्लिंग कहा गया है। शिव पुराण में बैद्यनाथ के विषय में चर्चा की गयी है। शिव ने अमोघ दृष्टि से वैद्य की भांति रावण के मस्तकों को जोड़ दिया था। बैद्यनाथेश्वर कहलाने के पीछे यही रहस्य है। भारतवर्ष में शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं।

जो द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। सौराष्ट्र में सोमनाथ, श्रीशैल पर्वत पर मल्लिकार्जुन, उज्जैन में महाकाल, नर्मदा तट पर स्थित अमरेश्वर में ओंकारेश्वर, हिमालय पर केदारनाथ, काशी में विश्वनाथ, गोमती तट पर त्रयम्बकेश्वर, चिताभूमि में बैद्यनाथ, दारूका वन में नागेश्वर, सेतुबंध में रामेश्वर और इलातीर्थ के शिवालय में घृष्णेश्वर। शिव पुराण के अध्याय 38 में वैद्यनाथं चिताभूमौ का उल्लेख किया गया है। बृहत्स्तोत्ररत्नाकार में श्लोक है- पूर्वात्तर प्रज्वलिकानिधाने, सदा वसंत गिरजासमेतम्। सुरासुराराधितपादपद्यं श्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि।। प्रज्वलिका निधान का आशय है चिताभूमि में वैद्यनाथ स्थापित हैं।
शिव रहस्य के पंचमांश में द्वादश ज्योतिर्लिंग महात्मय है। जिसमें वैद्यनाथ की महिमा कही गयी है। जो मनुष्य एक बार भी विल्व पत्र से पूजन कर लिंग विग्रह का दर्शन कर लेता है। वह मुक्ति पाता है। पाप समूह और ताप को त्याग कर अमृत को प्राप्त कर महापुण्य को पाता है।