नई दिल्ली: विवादित संत आसाराम बापू को सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ी राहत मिली है। जोधपुर जेल में बंद आसाराम बापू को कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी है, जिसे लेकर उनके समर्थकों में एक नई उम्मीद जागी है। यह जमानत उनके स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को आधार बनाकर दी गई है। इससे पहले भी आसाराम को इलाज के लिए जेल से बाहर लाया गया था और उन्हें अन्य राहतें भी दी गई थीं। अब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत का आदेश दिया है, जिससे उनकी रिहाई की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
जमानत का आधार: स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 के बलात्कार मामले में आसाराम बापू को अंतरिम जमानत दी। कोर्ट ने कहा कि उनकी स्वास्थ्य स्थिति गंभीर है, और इस आधार पर उन्हें जमानत दी जा रही है। जमानत पर रिहा होने के बाद उन्हें अपने अनुयायियों से मिलने की अनुमति नहीं होगी और उन्हें यह निर्देश दिया गया कि वह किसी भी तरह से सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे।
यह फैसला कोर्ट ने मेडिकल आधार पर लिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आसाराम के स्वास्थ्य की स्थिति को लेकर चिकित्सीय रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। इससे पहले, आसाराम को इलाज के लिए महाराष्ट्र भी ले जाया गया था, जहां उनका इलाज किया गया था। उनकी सेहत को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला लिया।
आसाराम बापू की सजा और पैरोल
आसाराम बापू को 2013 में एक नाबालिग लड़की से यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी ठहराया गया था और उन्हें धारा 376 (बलात्कार) और धारा 377 (अप्राकृतिक कृत्य) के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। यह मामला जोधपुर स्थित उनके आश्रम से जुड़ा था, जहां पीड़िता पढ़ाई के लिए आई थी और वहां उसे आसाराम ने शिकार बनाया।
आसाराम को 2014 में गिरफ्तार किया गया था और उनका मामला न्यायालय में चला। मामले की गवाहों और सबूतों के आधार पर कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस मामले में 68 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे, जिनमें से एक सरकारी गवाह भी था। कुल मिलाकर, 7 आरोपी थे, जिनमें से एक को सरकारी गवाह बनने के कारण बरी कर दिया गया।
पैरोल की अनुमति और स्वास्थ्य समस्याएं
आसाराम की स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए उन्हें साल 2024 में तीन बार पैरोल मिली थी। पैरोल के दौरान, उन्हें किसी से मिलने की अनुमति नहीं थी। आसाराम की स्वास्थ्य स्थितियां गंभीर हैं, और उनमें ब्लॉकेज जैसी समस्याएं भी हैं। पैरोल के लिए उनकी जमानत शर्तों में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि इस दौरान उन्हें किसी से भी मिलने की अनुमति नहीं होगी, जिससे यह संदेश दिया गया कि उनकी स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज प्राथमिकता के रूप में किया जा रहा है।
पिछले साल नवंबर और अगस्त में भी आसाराम को पैरोल मिली थी, जिससे उनके समर्थकों और परिवारवालों को उम्मीद थी कि उनकी स्थिति जल्द सुधर सकती है। हालांकि, पैरोल पर मिलने की स्थिति में भी जेल प्रशासन द्वारा कड़ी निगरानी रखी गई।
आसाराम का विवादित जीवन
आसाराम बापू एक समय में भारत के सबसे प्रसिद्ध संतों में से एक थे, जिन्होंने लाखों अनुयायियों के दिलों में अपनी जगह बनाई थी। उनका आश्रम देशभर में फैला हुआ था और लोग उन्हें एक दिव्य संत मानते थे। लेकिन 2013 में एक नाबालिग लड़की के आरोपों के बाद उनका पूरा जीवन उलट-पुलट हो गया। बलात्कार के आरोपों के कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया और बाद में उन्हें सजा सुनाई गई।
आसाराम की गिरफ्तारी और सजा ने उनके अनुयायियों के बीच बड़ा आघात पहुँचाया था, और उनके समर्थक इसे एक साजिश के रूप में देखते थे। हालांकि, कोर्ट ने सबूतों और गवाहों के आधार पर उन्हें दोषी ठहराया और सजा सुनाई। अब उनके लिए एक नई जमानत मिली है, लेकिन इस मामले को लेकर विवादों का दौर अभी भी जारी है।
आसाराम बापू को अंतरिम जमानत मिलने के बाद, अब यह देखना होगा कि कोर्ट आगे इस मामले में क्या निर्णय लेता है। जमानत मिलने के बावजूद, आसाराम को अपने अनुयायियों से मिलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी और उन्हें यह निर्देश दिए गए हैं कि वह किसी भी तरह की गड़बड़ी या सबूतों के साथ छेड़छाड़ न करें।