सुप्रीम कोर्ट जजों की संपत्ति की जानकारी अब सार्वजनिक
नई दिल्ली : भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। शीर्ष अदालत ने अपने 33 मौजूदा न्यायाधीशों में से 21 न्यायाधीशों की संपत्ति की घोषणा अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दी है। इन विवरणों में अचल संपत्ति, चल संपत्ति, गोल्ड, शेयर और निवेश की जानकारी शामिल है, जो न्यायाधीशों, उनके जीवनसाथी और संयुक्त परिवार से संबंधित है।
सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के सभी न्यायाधीशों की संपत्ति भी सार्वजनिक
प्रकाशित जानकारी में सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के सभी पांच मौजूदा न्यायाधीशों की संपत्ति का विवरण भी शामिल है। सर्वोच्च न्यायालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि शेष न्यायाधीशों की संपत्ति की जानकारी भी जल्द ही वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी।
1 अप्रैल को पारित पूर्ण अदालत प्रस्ताव के तहत उठाया गया कदम
यह पहल 1 अप्रैल को पारित एक पूर्ण न्यायालय (Full Court) प्रस्ताव के अनुरूप है, जिसके तहत सभी मौजूदा और भविष्य में नियुक्त होने वाले न्यायाधीशों की संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक डोमेन में रखी जाएगी। इससे पहले, यह जानकारी केवल भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को देना अनिवार्य था, लेकिन इसे सार्वजनिक करना वैकल्पिक था।
दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश से जुड़ी घटना के बाद आया बदलाव
यह फैसला उस समय आया है, जब न्यायपालिका में पारदर्शिता को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना के बाद कथित रूप से जले हुए नकदी के बंडल मिलने की खबर सामने आई थी, जिससे न्यायिक प्रणाली की निष्पक्षता पर सवाल उठे।
उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्तियों की प्रक्रिया भी अब ऑनलाइन
सिर्फ संपत्ति की जानकारी ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्तियों की प्रक्रिया को लेकर भी एक बड़ा कदम उठाया है। अब उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्तियों की पूरी प्रक्रिया – जिसमें राज्य सरकारों और केंद्र सरकार से मिली राय, हाई कोर्ट कोलेजियम की भूमिका, सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम का विचार और नवंबर 2022 से मई 2025 के बीच की गई नियुक्तियों का डेटा शामिल है – भी सार्वजनिक रूप से सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम
इस निर्णय को भारतीय न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है। इससे न केवल नागरिकों का न्यायपालिका पर विश्वास बढ़ेगा, बल्कि भविष्य में होने वाली नियुक्तियों और न्यायिक कार्यवाहियों को लेकर पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी।