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Jharkhand Tourism: टांगीनाथ धाम : झारखंड की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का अमूल्य रत्न

Gumla News: यहाँ की शांति, ऊंचाई और हरियाली में स्थित यह मंदिर आत्मिक ऊर्जा से भरपूर प्रतीत होता है।

by Reeta Rai Sagar
Ancient Tanginath Dham Shiva Temple in Gumla, Jharkhand - Spiritual Heritage Site
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गुमला : झारखंड का टांगीनाथ धाम न केवल एक प्राचीन शिव मंदिर है, बल्कि यह प्रदेश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का गहराई से प्रतीक भी है। यह स्थान भक्ति और रहस्यवाद का अनोखा संगम प्रस्तुत करता है, जो श्रद्धालुओं और इतिहास प्रेमियों दोनों को आकर्षित करता है। Tanginath Dham का शाब्दिक अर्थ है – ‘सर्पों का निवास’। यह रहस्यमयी नाम ही इसकी पौराणिकता को दर्शाता है, जो इसे झारखंड के सबसे अद्भुत धार्मिक स्थलों में से एक बनाता है।

कहां स्थित है टांगीनाथ धाम

गुमला जिला की टांगीनाथ पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। चारों ओर हरियाली से घिरा यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक शांति दोनों का अनुभव कराता है।

भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर क्यों है विशेष

यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और कहा जाता है कि यहां का शिवलिंग हजारों वर्षों पुराना है। पत्थर का बना यह शिवलिंग अत्यंत विशालकाय है और आज भी अज्ञात कारणों से पूर्ण रूप से खोदाई नहीं हो सकी है।

यहाँ की एक और खासियत है – बिना मूर्तियों के स्थापत्य। मंदिर की वास्तुकला अद्भुत है और इसकी बनावट नागर शैली के प्राचीन प्रभावों को दर्शाती है।

टांगीनाथ : सर्पों का रहस्यमयी संबंध

टांगीनाथ का अर्थ है ‘सर्पों का धाम’, माना जाता है कि यह स्थान सर्पों का निवास स्थल है। लोककथाओं के अनुसार, यहां नागदेवता स्वयं शिव की सेवा में रहते हैं।
मंदिर परिसर में अनेक ऐसी शिलाएं हैं, जिन पर सर्पों की आकृतियाँ उकेरी गई हैं। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां पूजा करने से नागदोष से मुक्ति मिलती है।

ऐतिहासिक महत्व और पुरातात्विक विशेषताएं

टांगीनाथ धाम को लेकर इतिहासकारों का मानना है कि यह स्थल गुप्त या पाल काल से संबंधित हो सकता है। मंदिर के आसपास कई पुरातात्विक अवशेष मिलते हैं जो इसके ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हैं।

यहां पाए गए कुछ खंडहर और शिलालेख यह संकेत देते हैं कि यह क्षेत्र कभी एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र रहा होगा।

दर्शन और यात्रा अनुभव

श्रद्धालु यहां हर साल महाशिवरात्रि और श्रावण मास में बड़ी संख्या में दर्शन हेतु आते हैं। यहाँ की शांति, ऊंचाई और हरियाली में स्थित यह मंदिर आत्मिक ऊर्जा से भरपूर प्रतीत होता है।

यह स्थान ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है क्योंकि मंदिर तक पहुँचने के लिए एक सुंदर पहाड़ी चढ़ाई करनी पड़ती है, जो खुद में एक अद्भुत अनुभव है।

टांगीनाथ धाम, झारखंड की भूमि पर आस्था, रहस्य और विरासत का अद्वितीय संगम है। यह सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि भक्ति और इतिहास की जीवंत अनुभूति है। अगर आप झारखंड की आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक गहराई को समझना चाहते हैं, तो यह धाम अवश्य जाना चाहिए।

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