Ranchi (Jharkhand): देश भर के केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार की कथित मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आगामी 9 जुलाई को प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी हड़ताल की तैयारी के लिए यूनियनों ने 20 मई, मंगलवार से राज्यव्यापी अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। इस सिलसिले में, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने सोमवार को रांची के अल्बर्ट एक्का चौक स्थित भाकपा कार्यालय में एक प्रेस वार्ता आयोजित कर अपनी रणनीति और मांगों की जानकारी दी।
20 मई को रांची में विशाल रैली और सभा
प्रेस वार्ता में बताया गया कि अभियान के पहले दिन, यानी 20 मई को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का एक संयुक्त मंच रांची में दो विशाल रैलियां निकालेगा। ये रैलियां सैनिक बाजार और कचहरी चौक से शुरू होकर अल्बर्ट एक्का चौक पर एक बड़ी सभा के रूप में तब्दील होंगी। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम से पहले, संयुक्त मंच का एक प्रतिनिधिमंडल रांची के उपायुक्त के माध्यम से भारत के प्रधानमंत्री को एक विस्तृत ज्ञापन भी सौंपेगा, जिसमें मजदूरों की मांगों और चिंताओं को उजागर किया जाएगा।
राष्ट्रीय मजदूर सम्मेलन के बाद हड़ताल की घोषणा
यूनियनों के संयुक्त मंच ने यह भी स्पष्ट किया कि आगामी राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल, जिसकी घोषणा पहले 20 मई के लिए की गई थी, को वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए स्थगित कर दिया गया है। अब यह देशव्यापी हड़ताल 9 जुलाई को आयोजित की जाएगी। मंच के नेताओं ने बताया कि 18 मार्च को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय मजदूर सम्मेलन में इस हड़ताल का आह्वान किया गया था, लेकिन मौजूदा राष्ट्रीय परिदृश्य को देखते हुए इसकी तिथि में बदलाव किया गया है।
आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और सरकार से कार्रवाई की मांग
ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इस कायरतापूर्ण कृत्य पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए आतंकवाद के खिलाफ ठोस और निर्णायक कार्रवाई के लिए सरकार को अपना पूर्ण समर्थन दिया है। मंच ने देश के मजदूर वर्ग की एकता और आतंकवाद के खिलाफ उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता की सराहना की। इसके साथ ही, मंच ने सरकार से यह भी पुरजोर मांग की है कि मध्य प्रदेश के एक मंत्री सहित सभी विभाजनकारी व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए, जो देश की एकता और सद्भाव को खतरे में डालते हैं।
मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा
संयुक्त मंच ने केंद्र और कई राज्य सरकारों पर नियोक्ता वर्ग को संरक्षण देने का आरोप लगाया है, जिसके चलते मजदूरों पर लगातार हमले हो रहे हैं। यूनियनों का कहना है कि काम के घंटों में मनमानी वृद्धि, न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा के अधिकारों का उल्लंघन, और ठेका मजदूरों की गैरकानूनी छंटनी जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। उन्होंने इसे कुख्यात श्रम संहिताओं को चुपचाप लागू करने की साजिश का हिस्सा बताया है। मंच ने यह भी खेद व्यक्त किया कि ट्रेड यूनियनों की लगातार मांगों के बावजूद, सरकार ने अभी तक न तो किसी प्रतिनिधिमंडल से वार्ता की है और न ही भारतीय श्रम सम्मेलन बुलाया है।
20 मई को कार्यस्थलों पर विरोध प्रदर्शन
प्रेस वार्ता में जानकारी दी गई कि विभिन्न सहयोगी यूनियनें 20 मई को अलग-अलग समय पर अपने-अपने कार्यस्थलों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करेंगी। इन प्रदर्शनों का मुख्य उद्देश्य चारों श्रम संहिताओं को रद्द करने और श्रमिकों की 17 सूत्रीय मांगों को प्रमुखता से उठाना होगा। संयुक्त मंच ने देश के सभी श्रमिकों, कर्मचारियों, जन संगठनों, छात्र-युवाओं, महिलाओं और किसानों से अपील की है कि वे इस महत्वपूर्ण संघर्ष को और अधिक मजबूत बनाएं और कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के विरुद्ध एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद करें।
इस मौके पर इंटक के लीलाधर सिंह, एटक के अशोक यादव, एक्टू के शुभेंदु सेन, सीटू के अनिर्बान बोस, प्रतीक मिश्रा, टीयूसीसी के राजेश यादव, बेफी के एमएल सिंह और कनक चौधरी सहित कई प्रमुख श्रमिक नेताओं ने अपने विचार व्यक्त किए और आंदोलन को सफल बनाने का आह्वान किया।

