रांची: ट्रांसजेंडर सोसाइटी ने राज्य सरकार से वेलफेयर बोर्ड के गठन की मांग को लेकर एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की। इस दौरान उन्होंने कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय ने दस साल पहले आदेश दिया था कि ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए वेलफेयर बोर्ड का गठन किया जाए, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। सरकार ने कागजों पर बोर्ड का गठन तो कर दिया, लेकिन वास्तविकता में कोई भी कार्य धरातल पर नहीं दिखाई दे रहा है।
गिने चुने को मिल रही पेंशन
सोसाइटी के सदस्यों ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार महिलाओं के लिए मइयां सम्मान योजना के तहत ₹2500 दे रही है, जबकि ट्रांसजेंडर समुदाय को उनके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे पास न तो अपना घर है और न ही पर्याप्त संसाधन, ऐसे में सरकार द्वारा 1000 रुपए की पेंशन देने की घोषणा भी सिर्फ कुछ गिने-चुने लोगों तक ही सीमित रह गई है। अधिकांश ट्रांसजेंडर समाज के लोग इस पेंशन से वंचित हैं और इतनी कम राशि में गुजर-बसर करना भी बहुत मुश्किल हो रहा है।
10 साल में कोई बैठक नहीं
महामंडलेश्वर अमरजीत ने इस मुद्दे पर कहा कि पिछले 10 सालों में इस मामले में कोई भी बैठक नहीं हुई है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर छह महीने में बैठक का परिणाम नहीं निकलता तो फिर ऐसी बैठकों का कोई महत्व नहीं है। पीआईएल दायर करने के बाद अधिकारियों का कहना है कि यदि कोई ट्रांसजेंडर व्यक्ति आएगा तो बोर्ड का गठन होगा। जिससे ट्रांसजेंडर समुदाय को नजरअंदाज किया गया। हमलोगों के रहते हुए भी अनदेखी की जा रही है।
बेहतर शिक्षा के हो इंतजाम
सोसाइटी के सदस्य हिमांशी ने शिक्षा के क्षेत्र में भी सुधार की बात की। उनका कहना था कि ट्रांसजेंडर समाज के बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलनी चाहिए। इसके लिए शिक्षण संस्थानों में सेंसिटाइजेशन प्रोग्राम चलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में सरकार ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए योजनाएं चला रही हैं, जबकि झारखंड में इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। प्रेस कांफ्रेंस में उत्थान सीबीओ के उषा सिंह और अर्पित पांडेय भी मौजूद थे।