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प्रकाश पर्व क्यूं मनाया जाता है? क्या है मान्यताएं

by Rakesh Pandey
प्रकाश पर्व क्यूं मनाया जाता है? क्या है मान्यताएं
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स्पेशल डेस्क। प्रकाश पर्व का आयोजन गुरु नानक देव जी के जन्मदिवस के अवसर पर होता है। बता दें कि हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। इस साल गुरु नानक जयंती सोमवार, 27 नवंबर यानी कि आज मनाई जाएगी। प्रकाश पर्व एक आदर्श यात्रा के रूप में व्यापकता प्राप्त कर रहा है। हम जानेंगे कि इस पर्व का क्या महत्व है और इसे क्यों मनाया जाता है।

प्रकाश पर्व का अर्थ
गुरु नानक देव जी के जन्मदिवस पर प्रकाश पर्व का आयोजन होता है और इसके पीछे एक गहरा संदेश छिपा है। उन्होंने समाज को सुधारने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया और सिख धर्म की स्थापना की। इस पर्व के माध्यम से हमें उनके अद्भुत उदाहरणों से प्रेरणा मिलती है और हम भी समाज में समर्पण और सहिष्णुता के सिद्धांतों का पालन करते हैं।

गुरु नानक देव जी ने अपना पूरा जीवन समाज सुधारक के रूप में समर्पित कर दिया। उन्होंने जात-पात, भेद-भाव को मिटाने के लिए खास कदम उठाए थे। इंसानियत के नाम पर लोगों को एकता के सूत्र में बांधने के लिए उपदेश दिए थे। नानक साहिब ने समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाने का काम किया था और इसी वजह से उनकी जयंती हर साल प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है।

प्रकाश पर्व का महत्व भारतीय समाज में बहुत अधिक है। प्रकाश पर्व गुरु नानक देव जी का जन्म दिवस के अवसर पर मनाया जाता है, ऐसे में आइए जानते हैं कि कौन थे गुरुनानक देव और उनकी जयंती को प्रकाश पर्व क्यों कहा जाता है? यह कब और कहां हुआ था? प्रकाश पर्व को मनाने के पीछे कई मान्यताएं हैं, जो हमें एक ऊँचे संदेश से आगाह करती हैं।

ज्ञान का प्रकाश
गुरु नानक देव जी ने जीवन भर ज्ञान का प्रकाश फैलाने का संकल्प लिया था। प्रकाश पर्व हमें यह सिखाता है कि ज्ञान की ऊंचाई तक पहुंचने में हमें उदारता और समर्पण की आवश्यकता है।

समर्पण का प्रकाश
गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व कहा जाता है, क्योंकि इसे समर्पित करने वाले गुरु नानक देव ने अपना संपूर्ण जीवन समाज के उत्थान के लिए समर्पित किया। इससे हमें यह सिखने को मिलता है कि समर्पण से ही समाज में प्रकाश होता है।

सामूहिकता का प्रकाश
गुरुपर्व के दिन लंगर की परंपरा हमें सामूहिकता की भावना सिखाती है। लोग एक साथ बैठकर प्रसाद बांटने के माध्यम से हमें यह याद दिलाते हैं कि सामूहिक रूप से कार्य करना हमें सशक्त बनाता है।

आपको बता दें कि गुरु नानक देव जी की मां का नाम तृप्ता और पिता का नाम कल्याण चंद था। नानक साहिब का जन्म 15 अप्रैल 1469 को पंजाब के तलवंडी में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में स्थित है। यह जगह ननकाना साहिब के नाम से भी लोकप्रिय है। सिख धर्म में गुरु नानक देव जी की जयंती का विशेष महत्व है।

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