कोलकाता/मुर्शिदाबाद : वक्फ (संशोधन) कानून 2025 को लेकर पश्चिम बंगाल में मचा सियासी और सामाजिक घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार को राज्य के कई जिलों—मुर्शिदाबाद, मालदा, दक्षिण 24 परगना और हुगली में इस कानून के विरोध में भारी बवाल हुआ। हिंसक प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ पुलिस पर हमला किया, बल्कि वाहनों में आगजनी और सड़कों पर अराजकता भी फैलाई। इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहली बार इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी और केंद्र सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।
बोलीं ममता- दिल्ली से मांगें जवाब
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ कहा, “यह कानून केंद्र सरकार का बनाया हुआ है, ना कि हमारी सरकार का। इसलिए लोग इसका जवाब दिल्ली से मांगें, बंगाल से नहीं। हमारी सरकार इस कानून को राज्य में लागू नहीं करेगी।”
ममता बनर्जी का यह बयान तब आया है जब हिंसा के बाद राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। भाजपा समेत कई विपक्षी दल राज्य सरकार पर कानून व्यवस्था विफल होने का आरोप लगा रहे हैं।
118 लोग गिरफ्तार, इंटरनेट सेवाएं बंद
राज्य पुलिस ने जानकारी दी है कि हिंसा के सिलसिले में अब तक मुर्शिदाबाद के सुटी इलाके से 70 और समसेरगंज से 41 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कई क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर दी गई है और इंटरनेट सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है।
पुलिस के मुताबिक, “हम लगातार गश्त कर रहे हैं और किसी को भी कानून व्यवस्था बिगाड़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी।”
सोशल मीडिया पर भी निगरानी
पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों पर ध्यान न दें और किसी भी आपत्तिजनक सामग्री को साझा न करें। अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
घायल युवक का कोलकाता में इलाज जारी
इस हिंसा के दौरान पुलिस की जवाबी कार्रवाई में एक युवक गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे कोलकाता के अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत चिंताजनक बनी हुई है।
विपक्ष का हमला, केंद्र से मदद की मांग
राज्य में बढ़ती अराजकता को लेकर विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने ममता सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “यह हिंसा पूर्व नियोजित थी और सरकार इससे निपटने में पूरी तरह विफल रही है। अगर सरकार हालात नहीं संभाल सकती, तो उसे केंद्र से मदद मांगनी चाहिए।”
आखिर बंगाल में हिंसा क्यों?
ममता बनर्जी का तर्क है कि राज्य में यह कानून लागू ही नहीं होगा, तो फिर इतने बड़े पैमाने पर हिंसा और विरोध प्रदर्शन का क्या औचित्य है? यह सवाल अब उठने लगा है कि क्या यह विरोध वास्तव में कानून के खिलाफ था या फिर इसके पीछे राजनीतिक या सामुदायिक उकसावे की कोई रणनीति छिपी थी।