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रामलला के दर्शन को चले 20 साल के सौरभ, साइकिल से तय करेगे 650 किमी. की दूरी

by The Photon News Desk
Saurabh
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स्पेशल डेस्क। Ram Mandir Saurabh : अयोध्या में रामलला के दर्शन करने के लिए भक्त कोने-कोने से अयोध्या पहुंच रहे है। ऐसे ही धनबाद, झारखंड के एक राम भक्त सौरभ है जो रामलला के दर्शन करने के लिए साइकिल से जा रहे है।

कौन हैं Saurabh

धनबाद, बारामुड़ी निवासी सौरभ के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं हैं। उनके पास अयोध्या जाने के लिए पैसे नहीं थे किन्तु मन में जज्बा जरूर हैं।
रामलला के दर्शन का निर्णय

Saurabh बताते हैं कि रात में सपने में विचार आया और सुबह अपने घरवालों व दोस्तों को बताया। सभी उनके अयोध्या जाने के विचार को सुनकर खुश हुए लेकिन कैसे जाएंगे, यह समस्या सामने आ रही थी।

दोस्तों ने की मदद

एक दोस्त ने अपनी साइकिल दी जिसे सौरभ ने ठीक करा ली। कुछ दोस्तों ने चंदा इकट्ठा कर रास्ते के खर्च का किया प्रबंध और ठंड को देखते हुए घरवालों ने गरम कपड़ों की गठरी बांध दी।
Saurabh

शुरू की साइकिल यात्रा

यात्रा की शुरूआत मंगलवार को की थी। मन में श्रीराम की छवि बसाए सौरभ ने अपनी इस यात्रा की शुरुआत उधार की वस्तुओं से की है। साइकिल दोस्त की है, रास्ते का खर्च भाई चिरंजीवी और कुछ दोस्तों ने दिया। सौरभ की आंखों में रामलला के दर्शन की ललक व श्रीराम के दरबार में नतमस्तक होने का जज्बा भर है।

Saurabh : हाथों में राम का झंडा व देश का तिरंगा

सौरभ ने बताया कि पूरा देश राममय है। उन्होंने भी सोचा की अयोध्या धाम जाकर रामलला का दर्शन करना चाहिए। सौरभ का कहना हैं कि मैं रामलला का झंडा व तिरंगा लेकर निकला हूं, मैं देशवासियों को प्रेम व सद्भभावना का संदेश भी देना चाहता हूं।

Saurabh ने 16 जनवरी को शुरू की थी यात्रा

धनबाद से अयोध्या की दूरी 650 किमी है। 16 जनवरी को यात्रा शुरू की। हर दिन 120 किमी साइकिल चलाई। उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश करने पर कोहरा व धुंध का भी काफी सामना करना पड़ा। कुछ फीट की दूरी पर भी सामने की चीज दिखाई नहीं देती थी।

सड़क का किनारा पकड़े किसी तरह आगे बढ़ते रहे। कई बार तो ऐसा हुआ किसी ट्रक या अन्य गाड़ी की रोशनी में पीछे-पीछे साइकिल भगाई। दिन भर तो साइकिल से चलते थे लेकिन रात रास्ते में पड़ने वाले किसी होटल या ढाबे पर गुजार लेते थे।

Saurabh अपनी इस यात्रा की सफलता का श्रेय देते है श्रीराम को

साइकिल से इतनी दूरी तय करने पर सौरभ कहते है कि “हम तो बस यंत्र मात्र है, पहिया तो राम चलाते है। चाहे जीवन का पहिया हो या साइकिल का”।

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