कोलकाता : पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षक भर्ती घोटाले में सीबीआई ने गंभीर आरोप लगाए हैं। केंद्रीय एजेंसी ने पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और प्राथमिक शिक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य पर साजिश रचने का आरोप लगाया है। सीबीआई का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया में एक विशेष नंबर देने के लिए साजिश की गई, जिससे 158 योग्य अभ्यर्थियों को जानबूझकर वंचित कर दिया गया।
2017 की भर्ती प्रक्रिया में घोटाले का खुलासा
सीबीआई द्वारा अदालत में दाखिल की गई चार्जशीट में बताया गया है कि 2014 की टीईटी परीक्षा के आधार पर 2017 में प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया चलायी गई थी। इस दौरान, बंगाली माध्यम के प्रश्नपत्र में विवाद उठने पर शिक्षा परिषद ने केवल दूसरे विकल्प को सही मानते हुए अंक दिए, जबकि पहले विकल्प को चुनने वाले उम्मीदवारों को अंक नहीं दिए गए।
बाद में विवाद बढ़ने पर परिषद ने पहले विकल्प को भी मान्यता दी, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें रखी गईं। इन शर्तों के तहत 428 उम्मीदवार अतिरिक्त नंबर पाने के पात्र थे, लेकिन परिषद ने केवल 270 का चयन किया, जिनमें से 264 को नियुक्ति दी गई। सीबीआई का आरोप है कि यह चयन योग्यता के आधार पर नहीं, बल्कि मनमाने तरीके से किया गया।
माणिक भट्टाचार्य और पार्थ चटर्जी की साजिश
सीबीआई ने खुलासा किया कि 20 नवंबर 2017 को माणिक भट्टाचार्य की अध्यक्षता में प्राथमिक शिक्षा परिषद के अधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें अतिरिक्त नंबर देने का फैसला किया गया। इस प्रस्ताव को शिक्षा विभाग को भेजा गया, और 22 नवंबर को तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने इसे मंजूरी दी। इसके बाद, 30 नवंबर को परिषद ने 270 अभ्यर्थियों की सूची जारी की, लेकिन इस सूची में उम्मीदवारों के नाम, रोल नंबर और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को छिपा दिया गया।
घोटाले के बाद नियुक्ति आदेश और जांच के घेरे में
4 दिसंबर 2017 को प्राथमिक शिक्षा परिषद की तत्कालीन सचिव रत्ना चक्रवर्ती बागची ने इन 270 अभ्यर्थियों के नियुक्ति पत्र जारी करने की सिफारिश जिलों को भेज दी। सीबीआई का कहना है कि यह पूरी भर्ती प्रक्रिया अवैध थी और पार्थ चटर्जी और माणिक भट्टाचार्य की साजिश का नतीजा थी।
इस मामले में सीबीआई की जांच अब और भी गंभीर हो गई है, क्योंकि जांच में यह पाया गया कि चयनित अभ्यर्थियों में से कई प्रशिक्षित नहीं थे और कुछ अभ्यर्थी अतिरिक्त अंक मिलने के बावजूद पास नहीं हो पाए थे। इसके अलावा, उर्दू माध्यम के दो अभ्यर्थियों को भी भर्ती में शामिल किया गया, जो कि विवादास्पद था।
पार्थ चटर्जी और माणिक भट्टाचार्य के खिलाफ यह आरोप एक बार फिर से पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के गंभीर मुद्दे को उजागर कर रहे हैं, और सीबीआई की जांच से इसमें नए पहलू सामने आ सकते हैं।
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