लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में शराब और बीयर के विक्रय के तरीके में एक बड़ा बदलाव किया है। अब, प्रदेश के नागरिक एक ही दुकान पर बीयर और अंग्रेजी शराब दोनों की खरीदारी कर सकेंगे। इस नई व्यवस्था के तहत 1 अप्रैल से लागू होने वाली नई आबकारी नीति के तहत कुल 25 हजार से अधिक दुकानों का आवंटन किया गया है। इनमें बीयर और अंग्रेजी शराब एक साथ उपलब्ध होगी।
नई आबकारी नीति और कंपोजिट शॉप का आवंटन
उत्तर प्रदेश सरकार ने शराब की दुकानों के लिए एक नई और अधिक सुव्यवस्थित नीति लागू की है, जिसके तहत पहली बार “कंपोजिट शॉप” का कांसेप्ट पेश किया गया है। कंपोजिट शॉप में एक ही जगह पर बीयर, विदेशी शराब, और देसी शराब की बिक्री की जाएगी। इससे राज्य सरकार को शराब की दुकानों का संचालन और निगरानी बेहतर तरीके से करने में मदद मिलेगी।
ई-लॉटरी से किया गया आवंटन
आबकारी विभाग ने ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया के बाद ई-लॉटरी के माध्यम से इन दुकानों का आवंटन किया है। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित किया गया कि दुकानों का आवंटन पूरी पारदर्शिता के साथ हो, और किसी भी तरह की धांधली से बचा जा सके।
लखनऊ में पूरी की गई ई-लॉटरी प्रक्रिया
लखनऊ में आयोजित हुई ई-लॉटरी के तहत राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों में शराब की दुकानों का आवंटन हुआ। लखनऊ के लिए कुल 543 देसी शराब की दुकानें, 400 कंपोजिट शॉप, 56 मॉडल शॉप और 42 भांग की दुकानों का आवंटन किया गया है। इस प्रक्रिया से राज्य सरकार को लगभग 4278.80 करोड़ रुपये लाइसेंस फीस के रूप में प्राप्त हुए हैं।
आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल के मार्गदर्शन में इस ई-लॉटरी प्रक्रिया का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस प्रक्रिया में शराब और भांग की दुकानों के लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे, और फिर ई-लॉटरी के माध्यम से आवंटन किया गया।
आवंटन प्रक्रिया की विशिष्टताएं
राज्य में शराब की दुकानों का आवंटन दो चरणों में किया गया। पहले चरण में 25,677 दुकानों का आवंटन किया गया, जिसमें देसी शराब की दुकानें, कंपोजिट शॉप और मॉडल शॉप शामिल हैं। इस पहले चरण में लखनऊ जैसे बड़े शहरों में शराब की दुकानों के लिए पर्याप्त संख्या में स्थान आवंटित किए गए हैं।
दूसरे चरण में 146 देसी मदिरा की दुकानें, 21 कंपोजिट शॉप, 142 भांग की दुकानें और 5 मॉडल शॉप का आवंटन किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया से राज्य सरकार की आबकारी नीति में सुधार और बेहतर संचालन की उम्मीद जताई जा रही है।
राज्य सरकार को हुई आय
इस प्रक्रिया के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार को शराब दुकानों के लाइसेंस के रूप में एक बड़ी राशि मिली है। लखनऊ के लिए इस प्रक्रिया के दौरान 4278.80 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस प्राप्त हुई है, जो राज्य सरकार के खजाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान है। इससे सरकार को न केवल अपनी आबकारी नीति को लागू करने में मदद मिलेगी, बल्कि राज्य के विकास कार्यों के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण स्रोत साबित होगा।
प्रदेश में शराब की दुकानों का आवंटन और सुधार
उत्तर प्रदेश में बीयर और अंग्रेजी शराब की बिक्री को लेकर यह नया कदम एक महत्वपूर्ण पहल है। राज्य सरकार ने आबकारी नीति में सुधार किया है और कंपोजिट शॉप्स के रूप में एक नया कांसेप्ट पेश किया है। यह बदलाव प्रदेश के शराब और बीयर बाजार में न केवल सुधार की दिशा में एक कदम है, बल्कि इससे सरकार को राजस्व के रूप में महत्वपूर्ण आय भी प्राप्त होगी।
सुनिश्चित की गई है पारदर्शिता
इसके साथ ही, ई-लॉटरी के माध्यम से हुई दुकानें आवंटित करने की प्रक्रिया से यह सुनिश्चित हुआ है कि सभी कार्य पूरी पारदर्शिता के साथ किए गए हैं। आने वाले समय में इस नीति के प्रभाव और राज्य के विकास पर क्या असर पड़ेगा, यह देखना बाकी है, लेकिन फिलहाल यह कदम प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव साबित हो सकता है।