फीचर डेस्क : अक्षय तृतीया 2025 इस बार बेहद खास है क्योंकि 17 वर्षों बाद यह शुभ पर्व रोहिणी नक्षत्र और शोभन योग के साथ आया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया कहा जाता है और इसे ‘सर्वसिद्ध मुहूर्त’ माना जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती।
इस दिन किए गए कार्यों का फल कभी समाप्त नहीं होता, इसलिए इसे ‘अक्षय’ यानी अविनाशी कहा जाता है। मान्यता है कि इसी दिन त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी, इसलिए इसे युगादि तिथि भी कहा जाता है।
खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat for Shopping)
वाहन व भूमि की खरीदारी
सुबह 9:45 बजे से शाम 5:57 बजे तक।
सोना, चांदी, रत्न आदि
सुबह 9:08 बजे से रात 7:15 बजे तक।
इस विशेष अवसर पर सोने-चांदी के आभूषण, वाहन, भूमि, फर्नीचर, वस्त्र आदि खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व (Religious Significance)
इस दिन गंगा स्नान, भगवत पूजन, जप, तप, हवन, और दान करने से पापों का नाश होता है।
पितरों के लिए किया गया तर्पण और पिंडदान भी अक्षय फल देता है।
सच्चे मन से की गई प्रार्थना और क्षमा याचना व्यक्ति को सद्गुण प्रदान करती है।
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