Jamshedpur (Jharkhand) : विश्व आदिवासी दिवस (World Indigenous Day) के अवसर पर जमशेदपुर को-ऑपरेटिव महाविद्यालय (Jamshedpur Co-operative College) परिसर में एक शानदार और गरिमापूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस वर्ष का विषय ‘आदिवासी और एआई : अधिकारों की रक्षा, भविष्य का निर्माण” (Indigenous People and AI : Defending Rights, Shaping Futures) था, जिस पर विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने गहराई से विचार-विमर्श किया।
शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि व सांस्कृतिक विरासत का सम्मान
कार्यक्रम की शुरुआत झारखंड के जन नायक ‘गुरुजी’ शिबू सोरेन को भावभीनी श्रद्धांजलि देकर की गई। वक्ताओं ने उनके जीवन के प्रेरक पहलुओं पर प्रकाश डाला और उनके दिखाए गए शिक्षा के मार्ग पर चलने का आह्वान किया। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अमर कुमार सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में आदिवासी समाज की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और उनके आत्मनिर्णय के अधिकार पर जोर दिया।
उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के इस दौर में आदिवासी अधिकारों की सुरक्षा और उनके उज्ज्वल भविष्य के निर्माण पर महत्वपूर्ण विचार रखे। डॉ. स्वाति सोरेन ने कार्यक्रम के मुख्य विषय का परिचय देते हुए बताया कि कैसे AI का इस्तेमाल आदिवासी समुदाय अपनी संस्कृति, रीति-रिवाजों और क्षेत्रों को संरक्षित करने के लिए कर सकता है।
एआई : अवसर और चुनौतियां
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, लॉ कॉलेज के शिक्षक संजीव कुमार बिरुली ने AI के दोहरे पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि एक तरफ AI, आदिवासी संस्कृति के संरक्षण, भाषाओं के पुनर्जीवन और शिक्षा के नए अवसर प्रदान कर सकता है, वहीं दूसरी ओर यह पक्षपात, गलत जानकारी और डेटा के दुरुपयोग जैसी गंभीर चुनौतियां भी पैदा करता है। बिरुली ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि अगर AI जैसी तकनीकों का विकास आदिवासी समुदाय की सक्रिय भागीदारी के बिना किया जाता है, तो यह उनकी पहचान और अधिकारों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।
उपस्थिति और कार्यक्रम की मुख्य बातें
इस महत्वपूर्ण अवसर पर कॉमर्स विभाग से डॉ. अशोक कुमार रवानी, बी.एड विभाग से डॉ. फ्लोरेंस बेक, अन्य प्राध्यापकगण और बड़ी संख्या में लॉ कॉलेज तथा कॉलेज हॉस्टल के छात्र-छात्राएं मौजूद थे। कार्यक्रम में विषय से जुड़े प्रश्नोत्तर सत्र और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी आयोजित की गईं, जिससे माहौल जीवंत और शिक्षाप्रद बना रहा। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. स्वाति सोरेन तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. फ्लोरेंस बेक ने किया।
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