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चांद पर चले ‘हम’ : चंद्रयान-3 की उड़ान के साथ 140 करोड़ भारतीय का गर्व से हुआ सीना चौड़ा, जानें क्यों खास है ये मिशन

by Rakesh Pandey
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स्पेशल डेस्क, श्रीहरिकोटा : जोश और उमंग हिलोर मार रही थीं। कोई प्रार्थना कर रहा था। कोई कौतूहल को छिप नहीं पा रहा था। देश के अधूरे सपने को पूरा करने के लिए चंद्रयान-3 ने शुक्रवार की दोपहर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष स्टेशन से सहजतापूर्वक उड़ान भरी। इस उड़ान के साथ ही टकटकी लगाये देख रहीं अनगिनत आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े।

टीवी पर टिकी रहीं लोगों की निगाहें
देश-विदेश में बैठे करोडों भारतीय टीवी सेट के सामने बेसब्री से इस पल का इंतजार कर रहे थे। चंद्रयान 2 की गलतियों से सीख लेते हुए देश ने अंतरिक्ष में एक बार फिर लंबी छलांग लगायी। एक माह के अंदर यह मिशन अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच जायेगा। देश-दुनिया में जगह-जगह इस ऐतिहासिक पल का लाइव प्रसारण किया गया।

इतिहास रचने वाला विश्व का चौथा देश बनेगा भारत

श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से शुक्रवार को अपराह्न 2.35 बजे हैवी लिफ्ट प्रक्षेपण यान एलवीएम3-एम4 ने चंद्रयान-3 को लेकर उड़ान भरी। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के साथ भारत पूरी दुनिया में चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश बना जायेगा। इससे पहले अमेरिका, चीन, तत्कालीन सोवियत संघ ने यह कीर्तिमान कायम किया है। मिशन की सफलता के साथ चंद्रमा पर साॅफ्ट लैंडिंग की विशेषता रखने वाले देश में भारत का नाम शामिल हो जायेगा।

23 अगस्त को चांद की सतह पर होगी साॅफ्ट लैंडिंग
शुक्रवार को रवाना हुआ चंद्रयान-3 वर्ष 2019 के चंद्रयान-2 का अगला चरण है। चंद्रयान-2 में देश जो लक्ष्य भारत हासिल नहीं कर पाया था। आगामी 23 अगस्त को चांद की सतह पर चंद्रयान-3 की साॅफ्ट लैंडिंग से देश को वह गौरव हासिल हो जायेगा। चंद्रयान-2 मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर ‘विक्रम’ साॅफ्ट लैंडिंग करने में कामयाब नहीं हो पाया था। लिहाजा सभी आवश्यक सुधार के साथ भारी उपकरण ले जाने में सक्षम एलवीएम3-एम4 राकेट को मिशन पर भेजा गया है। करोड़ों भारतीयों को उम्मीद है कि यह यान इसरो के महत्वाकांक्षी चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर सुरक्षित पहुंचा देगा।

अधूरी कहानी को पूरा करने की सफल कोशिश चंद्रयान-3
चंद्रमा को लेकर पूरी दुनिया में हलचल मची है। नतीजा यह है कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने चंद्रमा पर दोबारा न जाने की अपनी कसम तोड़ दी है। आर्टेमिस मून मिशन के रूप में चंद्रमा पर इंसान को भेजने की व्यापक योजना के शुरुआत मानवरहित यान के प्रक्षेपण के साथ की जा चुकी है। पिछले साल शुरू किये गये इस मिशन के तहत नासा ने आठ देशों के साथ मिलकर समझौता किया है। जिसमें सभी देश एक साथ मिलकर चंद्रमा के अन्वेषण में सहयोग करेंगे। भारत के प्रधानमंत्री मोदी की ओर से इस योजना पर पहल की गई है।

इन देशों की चंद्रमा में बढ़ी दिलचस्पी
अमेरिका, रूस, चीन, भारत, जापान और यूरोपीय संघ की चंद्रमा के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। इसकी बड़ी वजह यह भी है कि आगे चलकर चंद्रमा को दुर्लभ अंतरिक्षीय सूचनाओं के केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। इसके अलावा मानव बस्तियां बसाने की संभावनाओं की भी तलाश हो रही है। जो तथ्य वहां भेजे जा रहे यान के जरिये मिलेंगे, उनसे हमें अंतरिक्ष के जन्म से लेकर ब्रह्मांड में और आगे बढ़ने से जुड़ी सभी सूचनाएं मिल सकेंगी। इस पूरी सृष्टि के रहस्य खोलकर रख देगा

फिर दिखाया दम, हम किसी से नहीं कम
भारत जिस तरह चंद्रयान, गगनयान और सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य मिशन जैसी योजनाओं पर काम कर रहा है, उन सबको देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि वह दिन दूर नहीं जब देश अंतरिक्ष में एक बड़ी शक्ति के रूप में उभर कर सामने आयेगा। संभव है जिस तरह गणित में भारत का महत्वपूर्ण योगदान है। उसी तरह चंद्रमा पर कोई भी वैज्ञानिक चर्चा भारत के बिना अधूरी रहे।

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