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दिल्ली विधानसभा परिसर में AAP विधायक आतिशी और पुलिस के बीच तीखी बहस, प्रवेश पर रोक का उठाया सवाल

क्या दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका और पुलिस प्रशासन का इस पूरे मुद्दे में क्या उद्देश्य और भूमिका होती है।

by Rakesh Pandey
Delhi CM Atishi
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नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा में आज उस समय जबरदस्त गतिरोध उत्पन्न हुआ, जब आम आदमी पार्टी (AAP) की विधायक और विपक्ष की नेता आतिशी को विधानसभा परिसर में प्रवेश से रोका गया। यह घटना दिल्ली विधानसभा परिसर के बाहर हुई, जहां आतिशी ने पुलिसकर्मियों से तीखी बहस की और सवाल किया कि उन्हें विधानसभा में क्यों प्रवेश करने से रोका जा रहा है। पुलिस की तरफ से जवाब आया कि स्पीकर के आदेश पर उन्हें विधानसभा में घुसने नहीं दिया जा रहा है। इस जवाब के बाद, आतिशी ने पुलिस से आदेश की कॉपी की मांग की, ताकि वे देख सकें कि किस आदेश के तहत उन्हें प्रवेश से रोका जा रहा है।

पुलिस से सवाल-जवाब और विरोध

आतिशी ने पुलिसकर्मियों से कहा, ‘आप मुझे आदेश का कागज दिखाइए, आप कह रहे हैं कि आदेश है, लेकिन वह आदेश कहां है? आप मुझे यह बताइए कि दिल्ली विधानसभा में कैसे नहीं घुसने देंगे?’ आतिशी के तीखे सवालों का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ, उन्होंने पुलिस के इस कदम पर कड़ा विरोध जताते हुए ट्वीट भी किया।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘BJP वालों ने सरकार में आते ही तानाशाही की हदें पार कर दी हैं। ‘जय भीम’ के नारे लगाने के लिए आम आदमी पार्टी के विधायकों को निलंबित कर दिया गया, और आज उन्हें विधानसभा परिसर में घुसने भी नहीं दिया जा रहा है। ऐसा दिल्ली विधानसभा के इतिहास में कभी नहीं हुआ कि चुने हुए विधायकों को विधानसभा परिसर के अंदर नहीं घुसने दिया जा रहा है’।

AAP विधायकों का निलंबन और प्रदर्शन

दरअसल, दिल्ली विधानसभा की कार्यवाही में आम आदमी पार्टी के 21 विधायक शामिल नहीं हो पा रहे हैं। आम आदमी पार्टी के कुल 22 विधायकों में से 21 विधायकों को विधानसभा में LG के भाषण के दौरान नारेबाजी करने के कारण निलंबित कर दिया गया था। इस घटना में केवल अमानतुल्लाह खान ही शामिल नहीं थे, क्योंकि वह उस समय सदन में मौजूद नहीं थे।

आतिशी का यह विरोध इस निलंबन के विरोध स्वरूप था, जहां उन्होंने यह सवाल उठाया कि आखिरकार चुने हुए प्रतिनिधियों को, जो लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए हैं, उनके कार्यक्षेत्र में प्रवेश क्यों नहीं दिया जा रहा है।

संजीव झा का बयान और पुलिस का रवैया

AAP के चार बार के विधायक संजीव झा ने भी इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा, ‘हमारे विधायकों को विधानसभा परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। दिल्ली पुलिस ने हमें विधानसभा परिसर में प्रवेश से मना कर दिया है। मुझे तो पार्किंग में जाने की भी अनुमति नहीं दी जा रही है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि उन्हें स्पीकर के कार्यालय से निर्देश मिले हैं’।

संजीव झा ने यह भी कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का पद पिछले 10 वर्षों से उनके पास है और उन्होंने कभी भी इस तरह के प्रतिबंध नहीं लगाए थे। इससे यह सवाल उठता है कि आखिरकार यह प्रतिबंध किस कारण लगाया गया और यह किस तरह की राजनीतिक स्थिति को दर्शाता है।

अधिकारों की रक्षा का मुद्दा

यह विवाद केवल एक प्रवेश पर रोक का मामला नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र में प्रतिनिधियों के अधिकारों की रक्षा का भी मुद्दा बन गया है। एक ओर जहां आम आदमी पार्टी के नेता इस फैसले को तानाशाही और लोकतंत्र के अधिकारों का उल्लंघन मानते हैं, वहीं दूसरी ओर सत्ताधारी दल इसे विधायकों द्वारा सदन की कार्यवाही में व्यवधान डालने के कारण उचित मानते हैं।

विधानसभा में विपक्षी दल के नेताओं का यह आरोप है कि उनके अधिकारों को अनावश्यक रूप से दबाने की कोशिश की जा रही है, जो कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के खिलाफ है।

नतीजा और आगे की राह

वर्तमान घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि दिल्ली विधानसभा में तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई है, जो आगे राजनीतिक गतिरोध का कारण बन सकती है। यह भी देखा जाएगा कि क्या दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका और पुलिस प्रशासन का इस पूरे मुद्दे में क्या उद्देश्य और भूमिका होती है। इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं, यह राजनीतिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण हो सकता है।

साथ ही, यह भी सवाल खड़ा होता है कि क्या दिल्ली विधानसभा में इस तरह की घटनाएं आम हो जाएंगी, या यह सिर्फ एक अस्थायी विवाद है। राजनीतिक दृष्टिकोण से यह घटना दिल्ली में विपक्ष और सत्ताधारी दल के बीच की खाई को और बढ़ा सकती है।

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