पलामू : बिहार और झारखंड पुलिस अब नक्सल प्रभावित सीमावर्ती इलाकों में फिर से सक्रिय हो रहे माओवादी कमांडरों को लेकर सतर्क हो गई है। दोनों राज्यों की पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। पलामू, लातेहार, गया और औरंगाबाद जिलों में माओवादियों की गतिविधियों को लेकर खुफिया जानकारी एकत्र की जा रही है।
नक्सलियों के टॉप कमांडरों को किया गया टारगेट
पुलिस सूत्रों के अनुसार, नक्सलियों की वर्तमान गतिविधियां अब सीमित रह गई हैं, लेकिन रेड कॉरिडोर के भीतर उनका नेटवर्क पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। खासकर झारखंड के बूढ़ा पहाड़ और बिहार के छकरबंधा जैसे क्षेत्रों में अब भी शीर्ष स्तर के माओवादी कमांडर सक्रिय हैं।
इनमें झारखंड क्षेत्र में 15 लाख के इनामी नक्सली
नितेश यादव और 10 लाख के इनामी संजय गोदराम प्रमुख हैं। इन दोनों के नेतृत्व में एक सक्रिय दस्ता दोनों राज्यों की सीमा पर काम कर रहा है।
झारखंड-बिहार के टॉप अधिकारियों की अहम बैठक
इस खतरे को देखते हुए मंगलवार को झारखंड और बिहार के शीर्ष पुलिस अधिकारियों की एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में अंतर-राज्यीय समन्वय (Inter-State Coordination) से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा हुई। रणनीति बनी कि किस प्रकार से खुफिया सूचना साझा कर, संयुक्त अभियान को आगे बढ़ाया जाए।
आईजी पलामू ने दी अभियान की जानकारी
आईजी पलामू सुनील भास्कार ने जानकारी दी कि लातेहार और पलामू में पहले भी अच्छी सफलता मिली है। अब इंटर स्टेट ऑपरेशन की योजना के तहत नक्सलियों के बचे हुए दस्तों को खत्म करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे। जो नक्सली आत्मसमर्पण नहीं करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
160 किलोमीटर लंबी सीमा पर CRPF-SSB-STF की तैनाती
झारखंड और बिहार के बीच लगभग 160 किलोमीटर लंबी सीमा है, जो नक्सल गतिविधियों के लिए संवेदनशील मानी जाती है। इस सीमा पर अब CRPF, SSB, STF और झारखंड पुलिस की तैनाती का निर्णय लिया गया है विशेष टीमों को उन क्षेत्रों में फोकस करने को कहा गया है, जहां नक्सली अभी भी जमीन पर समर्थन या ठिकाने बना रहे हैं।
नक्सली नेटवर्क से जुड़ी सूचनाओं का आदान-प्रदान तेज
दोनों राज्यों की पुलिस ने नक्सली कमांडरों और उनके समर्थकों की लिस्ट आपस में साझा की है। हर संदिग्ध गतिविधि पर नज़र रखी जा रही है। इसके अलावा आईबी और स्थानीय खुफिया तंत्र की मदद से लगातार सूचना एकत्र की जा रही है।
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