नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के आरोपों की जांच अब तेज हो गई है। भारत के चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना ने इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस बीच, जस्टिस वर्मा के घर के बाहर से जले हुए नोटों के मिलने का सिलसिला जारी है, जिसने जांच में और ज्यादा गहरी संदेह की लकीर खींच दी है। सफाईकर्मियों द्वारा किए गए एक नए खुलासे ने इस मामले में नया मोड़ ला दिया है।
सफाईकर्मियों के खुलासे से मामला और गंभीर
रविवार, 23 मार्च 2025 को, एनडीएमसी की सफाई टीम जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले के बाहर सफाई कर रही थी, तब उन्हें जले हुए 500 रुपये के नोट मिले। सफाईकर्मी सुरेंदर ने बताया कि हम यहां कूड़ा उठाने के लिए आते हैं और पिछले 4-5 दिनों से हमें यहां जले हुए 500 रुपये के नोट मिल रहे थे। आज भी हमें कुछ जले हुए नोट मिले हैं। सुरेंदर का कहना है कि ये नोट कूड़े में बिखरे हुए होते हैं, और यह सिलसिला पिछले कुछ दिनों से लगातार जारी है।
कई दिनों से मिल रहे थे नोटों के जले टुकड़े
इसी सिलसिले को और विस्तार से बताते हुए सफाईकर्मी इंद्रजीत ने कहा, “हम इसी क्षेत्र में काम करते हैं और सड़क से कूड़ा इकट्ठा करते हैं। कुछ दिन पहले हमें 500 रुपये के जले हुए नोटों के छोटे-छोटे टुकड़े मिले थे। हमें तब भी नोट मिले थे, और अब भी हमें 1-2 टुकड़े मिले हैं। हमें यह नहीं पता कि आग कहां लगी, क्योंकि हम सिर्फ सफाई का काम करते हैं।” यह घटनाक्रम इस बात को उजागर करता है कि जले हुए नोटों का यह मामला अब तक जारी है, जो काफी चिंता का विषय बन चुका है।
जस्टिस वर्मा के घर में मिली नकदी और आग का रहस्य
जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में 4-5 दिन पहले आग लगने के बाद भारी मात्रा में नकदी बरामद होने की खबर आई थी। यह घटनाक्रम न्यायिक समाज में एक गंभीर मुद्दा बन गया है और इसने पूरे सिस्टम में हड़कंप मचा दिया है। इसके बाद ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक बुलाई और जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर करने का फैसला लिया।
जांच का दायरा बढ़ा, समिति का गठन
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो इस पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच करेगी। इस समिति में उच्च न्यायिक अधिकारियों को शामिल किया गया है, ताकि मामले की सच्चाई सामने आ सके। समिति को इस मामले में सबसे पहले जले हुए नोटों के स्रोत का पता लगाने और यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया है कि क्या यह कोई संगठित अपराध है या जस्टिस वर्मा से जुड़ा हुआ व्यक्तिगत मामला।
क्या है पूरा मामला
यह पूरा मामला 20 मार्च 2025 को जस्टिस वर्मा के बंगले में आग लगने की घटना के बाद शुरू हुआ था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जस्टिस वर्मा के घर से भारी मात्रा में नगद बरामद किए गए थे। इस पर कई सवाल उठे, और इस पूरे मामले में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप सामने आए थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत हस्तक्षेप किया और जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया।