

RANCHI : झारखंड की राजधानी रांची का सदर हॉस्पिटल वैसे तो व्यवस्था को लेकर चर्चा में रहता है, लेकिन कई बार हॉस्पिटल में अव्यवस्थाएं भी सामने आती हैं। हालांकि सदर का ओंकोलॉजी विंग कैंसर मरीजों के लिए लाइफलाइन साबित हो रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 22 महीनों के भीतर यहां पर मरीजों को 5000 से अधिक कीमोथेरेपी सेशन दिए जा चुके हैं। वहीं आगे भी यह सुविधा मरीजों को मिलेगी, यह भी प्रबंधन का दावा है।

एक दर्जन बेड से हुई थी शुरुआत
सुपरस्पेशियलिटी सदर हॉस्पिटल में ओंकोलॉजी विंग की शुरुआत एक दर्जन बेड के साथ हुई थी। लेकिन, आज यहां 50 से ज्यादा बेड पर मरीजों का इलाज किया जा रहा है। यह उपलब्धि न केवल हॉस्पिटल की कार्यक्षमता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि अगर विभाग और हॉस्पिटल प्रबंधन चाह ले तो सरकारी हॉस्पिटल में भी मरीजों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं।

हर स्तर पर मेहनत कर रही टीम
पहले हॉस्पिटल में गिने चुने कैंसर मरीज इलाज के लिए आते थे। लेकिन, जानकारी मिलने के बाद मरीजों की भीड़ बढ़ने लगी। यही वजह है कि इस विंग में मरीज लगातार आ रहे हैं। अब तक करीब 2500 कैंसर मरीजों का इलाज किया जा चुका है। हॉस्पिटल में दो ओंको सर्जन डॉ. गुंजेश कुमार सिंह और उनकी टीम को सहयोग कर रहे हैं। इस टीम को आयुष्मान मित्रों और फार्मासिस्टों का सहयोग भी प्राप्त है, जो इलाज की प्रक्रिया को सुगम और व्यवस्थित बनाए रखते हैं।

गरीबों को समय पर मिल रहा इलाज
सदर हॉस्पिटल में कैंसर मरीजों को गंभीर बीमारी योजना के तहत निःशुल्क दवाएं दी जा रही हैं। इसके साथ ही आयुष्मान भारत योजना के तहत भी मरीजों का इलाज पूरी तरह कवर किया जा रहा है। इससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीजों को भी बेहतर और समय पर इलाज मिल पा रहा है। इसका फायदा ये हो रहा है कि अब कैंसर के मरीजों को इलाज के लिए दूसरे राज्यों की दौड़ नहीं लगानी पड़ रही है। प्राइवेट स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी यहां आकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
इस प्रकार काम करती है कीमोथेरेपी
कीमोथेरेपी कैंसर के इलाज की एक महत्वपूर्ण विधि है, जिसमें शक्तिशाली दवाओं के माध्यम से शरीर की तेजी से बढ़ने वाली खराब कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। ये दवाएं कैंसर कोशिकाओं के विभाजन और वृद्धि को रोकती हैं, जिससे वे नष्ट हो जाती हैं। हालांकि, इसका असर शरीर की कुछ स्वस्थ कोशिकाओं पर भी होता है, जिससे बाल झड़ना, थकान, उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कीमोथेरेपी को नस या ओरल माध्यम से दिया जाता है।
