धनबाद/रांची: झारखंड में मानसून अब जीवनदायिनी नहीं, बल्कि विनाशकारी बन गया है। इस बार की लगातार हो रही बारिश ने किसानों से लेकर कोल माफिया तक, हर तबके को प्रभावित कर दिया है और सबसे चिंताजनक बात यह है कि धनबाद की गलियों में फिर गूंजने लगी है 1995 की गज़लीटांड़ त्रासदी की गूंज, जब भारी बारिश के कारण खदानों में पानी भर गया था और 70 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी।
किसान बेहाल, खेती संकट में
खेती का गणित पूरी तरह गड़बड़ा चुका है। मार्च-अप्रैल में ओलावृष्टि ने सब्जी की फसल बर्बाद कर दी। अब जून-जुलाई की मूसलधार बारिश ने धान की बुआई को भी चौपट कर दिया है। खेतों में डाले गए बिचड़े सड़ने के कगार पर हैं। किसान न केवल अपनी पूंजी गवां चुके हैं, बल्कि पुन: बुआई के लिए संसाधनहीन भी हो गए हैं।
कोयला उत्पादन में गिरावट, उद्योगों को झटका
बारिश का असर सिर्फ खेतों तक नहीं, कोयला उत्पादन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। BCCL (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) की खदानों में पानी भर जाने से उत्पादन में भारी गिरावट आई है। कंपनी के लिए इस नुकसान की भरपाई करना आसान नहीं होगा। यह स्थिति ना सिर्फ आर्थिक है, बल्कि संभावित औद्योगिक संकट की ओर इशारा कर रही है।
रिहायशी इलाकों में पानी, DMC की नाकामी उजागर
धनबाद नगर निगम की लचर व्यवस्था फिर कटघरे में है। नावाडीह, हिरापुर, भूली जैसी कॉलोनियों में जलजमाव से जीवन अस्त-व्यस्त है। सड़कों पर घुटनों तक पानी जमा है, लोग जूते-चप्पल उतारकर घर से निकलने को मजबूर हैं। कई घरों में बारिश का पानी घुस चुका है। कॉलोनियां ‘जल टापू’ बन चुकी हैं।
बिजली संकट और बीमारियां: हर तरफ मुश्किलें
बिजली आपूर्ति बाधित है, ट्रांसफार्मर फुंक रहे हैं, तार गिर रहे हैं। लोग अंधेरे में रातें गुजार रहे हैं। साथ ही, लगातार बारिश के चलते सर्दी-जुकाम, डायरिया और वायरल जैसी बीमारियों में भी इजाफा हो गया है।
क्या दोहराएगा 1995 का इतिहास खुद को?
लोगों को सबसे ज्यादा डर इस बात का है कि क्या इतिहास खुद को दोहराएगा? 26 सितंबर, 1995 को ऐसी ही मूसलधार बारिश ने गज़लीटांड़ खदानों को जलसमाधि में बदल दिया था। 70 से अधिक मजदूर मारे गए थे, पूरा कोयलांचल दहल उठा था। अब जबकि जुलाई 2025 की बारिश भी उसी रफ्तार से कहर ढा रही है, लोग डरे, सहमे और सतर्क हैं।
साफ है कि स्थिति नियंत्रण से बाहर जा रही है। झारखंड सरकार को तुरंत राहत और पुनर्वास योजनाओं पर अमल करना चाहिए। किसानों को मुआवजा, कोलियरियों को सुरक्षा प्रबंधन और नागरिकों को राहत देना समय की मांग है।
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