जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर स्थित शिक्षा विभाग के कार्यालय में भ्रष्टाचार चरम पर है। निजी स्कूलों से राईट टू एजुकेशन(RTE) की मान्यता दिलाने के लिए 2 लाख रुपए घूस की मांग की जा रही है। DC विजया जाधव ने जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय के लिपिक विशाल प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया है। जिला प्रशासन की ओर से जारी निलंबन आदेश में कहा गया है कि लिपिक ने दो लाख रुपए की अवैध राशि की मांग की। इसकी शिकायत संत पॉल इंग्लिश स्कूल नुवागांव घाटशिला द्वारा प्रशासन से की गयी है। इस संबंध में विशाल प्रताप सिंह से स्पष्टीकरण भी मांगा गया। जवाब असंतोषजनक मिला। प्रथम दृष्टया प्रमाणित आरोप के आधार पर उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया।
BEEO कार्यालय चाईबासा से किया अटैच
निलंबित अवधि में बायोमेट्रिक द्वारा उपस्थिति दर्ज के आधार पर नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता का भुगतान प्रति माह किया जाएगा। निलंबन अवधि में मुख्यालय प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, सदर चाईबासा निर्धारित किया गया है। ऐसे में अब उसे इस कार्यालय में नियमित हाजिरी लगानी होगी।
बिना शर्तों को पूरा किए स्कूल चाह रहा था मान्यता, जब उसकी बात नहीं मानी गयी तो लगाया झूठा आरोप: विशाल
वहीं विशाल प्रताप सिंह की मानें तो जिस तिथि में उस पर घूस की राशि मांगने का आरोप लगाया गया है। उस तिथि में वह अवकाश पर था। विभाग के बायोमैट्रिक हाजिरी से इसका पता आसानी से लगाया जा सकता है। उसकी मानें तो स्कूल मान्यता की शर्तों को पूरा नहीं कर रहा है। इसके बाद भी वह बार-बार उससे फाइल आगे बढ़ाने का दबाव अलग -अलग माध्यमों से डाल रहा था। जब उसकी बात नहीं बनी तो स्कूल प्रबंधन ने घूस मांगने का झूठा आरोप लगा दिया। विशाल ने यह सब लिखित रूप से जिला प्रशासन को उपलब्ध कराया है।
चार साल से फंसी है आरटीई मान्यता
जिले में RTE मान्यता की बात करें तो पिछले चार सालों में एक भी स्कूल को मान्यता नहीं मिल पायी है। पहले विभाग ने ऑफ लाइन आवेदन मांगा था। जबकि 260 स्कूलों ने आवेदन मान्यता के लिए किया था। अब इस प्रक्रिया को बदलकर ऑनलाइन कर दिया गया है। ऐसे में सभी स्कूलों को पुन: आवेदन करना पड़ रहा है। मान्यता में देरी की एक वजह स्कूलों से अवैध वसूली को माना जा रहा है। अगर RTE मान्यता की शर्तों पर नजर डालें तो कुल 36 अलग- अलग शर्तों को पूरा करने वाले स्कूलों को ही मान्यता देनी है। जिस प्रकार की शर्तें हैं उसे 95 प्रतिशत स्कूल पूरा नहीं कर रहे हैं। यही वजह है कि इन कमियों को छिपाने के लिए विभाग के लोग घूस मांग रहे हैं।
एक ऐसा क्लर्क जिसकी पोस्टिंग स्कूल में लेकिन बैठता हैं DEO कार्यालय में
विशाल प्रताप सिंह के साथ ही अब जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय के कुछ और क्लर्क भी प्रशासन की नजर में है। इसमें कुछ क्लर्क ऐसे भी हैं जिनकी पोस्टिंग स्कूल में हुई है। लेकिन वे पूरे दिन DEO कार्यालय में रहते हैं और यहां की सबसे महत्वपूर्ण फाइल भी इन्हीं के पास है। ऐसे ही एक क्लर्क का नाम है नितिन कुमार है। जो कागजों पर तो विद्यालय में पदस्थापित है। लेकिन वह पूरे दिन DEO कार्यालय में ही बैठता है। यही नहीं इस विभाग की सबसे महत्वपूर्ण फाइलें इसी के पास हैं। यह क्लर्क अक्सर DEO निर्मला कुमारी बरेलिया के साथ दिख जाएगा। इसकी हनक ऐसी है कि यह स्कूल से बिना बताए ही विभाग आ जाता है और यहां फाइलों को डील करता है। उसके कहने पर कई अन्य क्लर्कों की पोस्टिंग भी DEO कार्यालय में हुई है। इसके अलावा कुछ अन्य क्लर्कों की शिकायत भी प्रशासन को मिली है।