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चुनाव आयोग ने लिया बड़ा फैसला, महाराष्ट्र चुनाव से पहले किया DGP रश्मि शुक्ला का तबादला

आईपीएस ऑफिसर रश्मि शुक्ला और विवादों का पुराना नाता रह चुका है। जब महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार थी, तब वे स्टेट इंटेलिजेंस की मुखिया थी। उस दौरान उन पर राज्य के कई बड़े नेताओं के फोन टैपिंग का आरोप लगाया गया था।

by Reeta Rai Sagar
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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही दिन बचे है। इस बीच चुनाव आयोग ने एक बड़ा फैसला लिया है। चुनाव आयोग द्वारा महाराष्ट्र पुलिस की डीजीपी रश्मि शुक्ला का ट्रांसफर कर दिया गया है। कांग्रेस सहित कई दलों ने शुक्ला के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। फोन टैपिंग के मामले में शुक्ला पर तीन मामले दर्ज है।

विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे आरोपों के बाद, शुक्ला का किया गया ट्रांसफर

कांग्रेस व कई अन्य दलों ने शुक्ला के खिलाफ चुनाव आय़ोग में शिकायत दर्ज की थी। राजनीतिक दलों का कहना है कि शुक्ला महाविकास अघाड़ी के प्रति अधिक भेदभाव पूर्ण रवैया रखती है। विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे आरोपों के बाद ही आयोग ने शुक्ला का ट्रांसफर कर दिया। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के डीजीपी के तौर पर महाराष्ट्र कैडर के सबसे सीनियर आईपीएस अधिकारी को नियुक्त करने का आदेश भी दिया है। इलेक्शन कमीशन ने मुख्य सचिव को 5 नवंबर की दोपहर 1 बजे तक तीन आईपीएस अधिकारियों का एक पैनल भेजने का भी आदेश दिया है।

कौन है रश्मि शुक्ला

डीजीपी रश्मि शुक्ला महाराष्ट्र की पहली महिला डीजीपी बनीं थी। 1988 बैच की आईपीएस अधिकारी और महाराष्ट्र कैडर में कार्यरत शुक्ला सशस्त्र सीमा बल की महानिदेशक के पद पर कार्यरत रह चुकी है।

विवादों से है पुराना नाता

आईपीएस ऑफिसर रश्मि शुक्ला और विवादों का पुराना नाता रह चुका है। जब महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार थी, तब वे स्टेट इंटेलिजेंस की मुखिया थी। उस दौरान उन पर राज्य के कई बड़े नेताओं के फोन टैपिंग का आरोप लगाया गया था। इन नेताओं में शिवसेना (यूबीटी) के संजय राऊत और एनसीपी नेता एकनाथ खडसे का नाम शामिल है। खबरों के मुताबिक उन पर फोन टैपिंग के कुल तीन मामले दर्ज किए गए थे।

इसके अलावा उन पर सीक्रेट दस्तावेजों की हेराफेरी का भी आरोप है। रश्मि शुक्ला पर आरोप था कि 2020 में स्टेट इंटेलीजेंस के पद पर रहते हुए उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार की थी। इस रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस और कुछ बिचौलिए के नेक्सस का खुलासा हुआ था, जो पैसे के लिए तबादला और पोस्टिंग का खेल खेलते थे। इस मामला को 2022 में शिंदे सरकार के गठन के बाद जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया गया था। इस मामले में कोर्ट ने सीबीआई को क्लोजर रिपोर्ट की अनुमति दे दी थी। इसके बाद ही वे बिना किसी अड़चन के डीजीपी बन पाई थी।

चुनाव आयोग ने लिया सही निर्णय
एनसीपी चीफ शरद पवार ने चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने बिल्कुल सही निर्णय लिया है। ऐसे लोगों को इन पदों पर नहीं होना चाहिए। वैसे भी रश्मि शुक्ला का कार्यकाल जल्द ही समाप्त होने वाला था।

शिवसेना ने भी निर्णय के प्रति जताया समर्थन
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी चुनाव आय़ोग के फैसले को सही करार दिया है। कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रमुख नाना पटोले ने नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने इस मामले में तीन बार चुनाव आय़ोग को शुक्ला के तबादले के लिए संपर्क किया था और पूछा था कि आय़ोग को इस संबंध में निर्णय लेने में इतना समय क्यों लग रहा है। उन्होंने आयोग से यह भी गुजारिश की है कि शुक्ला को किसी भी चुनाव संबंधी ड्यूटी में अप्वाइंट न किया जाए।

बेवजह दिया गया था सेवा विस्तार- कांग्रेस नेता
आगे कांग्रेस नेता ने कहा कि शुक्ला हमेशा से बीजेपी को सपोर्ट करती आई है और विपक्षी दलों के फोन टैपिंग का भी मामला सामने आया है। हमने लगातार राज्य सरकार से शुक्ला के तबादले की मांग की थी। उन्होंने राज्य की सरकार पर आऱोप लगाते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे की सरकार ने उन्हें बेवजह 2 साल का एक्सटेंशन दिया था। जबकि झारखंड और पश्चिम बंगाल में चुनाव आय़ोग द्वारा चुनाव की तारीखों की घोषणा के तुरंत बाद ही डीजीपी का तबादला कर दिया गया था।

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