चंडीगढ़ : हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव संपन्न हो चुके हैं और एग्जिट पोल के अनुसार कांग्रेस की सरकार बनने की बहुत हद तक संभावना नजर आ रही है। लेकिन यदि ये परिणाम सच में बदलते हैं, तो कांग्रेस के लिए चुनौतियां कम नहीं होंगी। मुख्य समस्या सीएम के चयन की होगी, जो पार्टी के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।
कांग्रेस के लिए एग्जिट पोल में सकारात्मक संकेत हैं, लेकिन सीएम चयन और गुटबाजी की चुनौतियां उसे आगे बढ़ने से रोक सकती हैं। पार्टी को यह तय करना होगा कि वह कैसे एकजुट होकर अपने नेतृत्व को चुनेगी और चुनावी सफलता का लाभ उठाएगी।
दिग्गज नेताओं की लगी होड़
कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला सीएम की दौड़ में सबसे आगे दिख रहे हैं। चुनाव के बाद इन नेताओं ने एकजुट होकर कहा कि कांग्रेस अगली सरकार बनाएगी, लेकिन सीएम का चयन पार्टी के आलाकमान की ओर से किया जाएगा। यानी कि निर्णय दिल्ली में बैठे नेताओं का होगा।
हुड्डा का तर्क : राजनीति में आकांक्षा स्वाभाविक है
जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा से पूछा गया कि मुख्यमंत्री पद के लिए कौन आगे है, तो उन्होंने कहा कि राजनीति ऐसी चीज है कि कोई भी आकांक्षा रख सकता है। लेकिन एक प्रक्रिया है जिसमें विधायकों की राय ली जाएगी, और उसके बाद आलाकमान निर्णय लेगा।
गुटबाजी की समस्या
हालांकि, कांग्रेस के भीतर गुटबाजी की खबरें भी सामने आई हैं। जुलाई में चुनावों से पहले, कुमारी शैलजा ने पदयात्रा की तैयारी की, जबकि हुड्डा ने ‘हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा’ की घोषणा की। दोनों की यात्राओं के बीच केवल तीन दिनों का अंतर था, जो पार्टी के भीतर की दरार को उजागर करता है। यह पहली बार नहीं है जब ऐसा हुआ है, जनवरी में भी दोनों नेताओं ने अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए थे, जिससे पार्टी में विभाजन की आशंका बढ़ गई थी।
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