RANCHI: झारखंड स्वास्थ्य विभाग ने हार्ट अटैक वाले मरीजों की जान बचाने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब राज्य के सभी सदर अस्पतालों और उन मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में जहां कार्डियोलॉजी विभाग उपलब्ध नहीं है वहां इनोक्सापारिन इंजेक्शन उपलब्ध कराया जाएगा। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने निर्देश जारी कर दिया है। ये इंजेक्शन हार्ट अटैक के शुरुआती और क्रिटिकल कंडीशन में मरीज की जान बचाने वाली दवा साबित होगी।
दूर दराज वाले हॉस्पिटल में सेवाएं होगी मजबूत
स्वास्थ्य विभाग की इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में स्थित सरकारी अस्पतालों की इमरजेंसी सेवाओं को मजबूत करना है। जहां कार्डियोलॉजिस्ट, आवश्यक जांच सुविधाएं और जीवनरक्षक दवाएं अक्सर उपलब्ध नहीं होतीं। ऐसे में मरीजों को प्राथमिक उपचार दिए बिना ही बड़े अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। जिससे कई मरीजों की जान समय पर इलाज न मिलने के कारण खतरे में पड़ जाती है।
गोल्डन आवर में राहत
मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार एनोक्सारिन-40 (0.4 ml) में मौजूद लो-मॉलिक्यूलर-वेट हेपारिन खून के थक्कों को बढ़ने से रोकता है तथा शरीर को बने हुए थक्के को तोड़ने में भी मदद करता है। हार्ट अटैक के शुरुआती गोल्डन आवर्स में दिया गया यह इंजेक्शन मरीज की लाइफ बचाने की संभावना को बढ़ा देता है।स्वास्थ्य विभाग जल्द ही सभी सदर अस्पतालों और चयनित मेडिकल कॉलेजों के इमरजेंसी रूम के भीतर विशेष केंद्र स्थापित करेगा। इन केंद्रों में टेस्टिंग और इनोक्सापारिन इंजेक्शन देने की सुविधा उपलब्ध रहेगी।
मरीजों को मिलेगा टाइम
निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं सिद्धार्थ सान्याल ने बताया कि हार्ट अटैक मरीजों को इमरजेंसी में पहुंचते ही बड़े अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। चूंकि वहां विशेषज्ञ और जरूरी दवाएं उपलब्ध नहीं होतीं। यह देरी कई बार जानलेवा साबित होती है। नई व्यवस्था से इस स्थिति में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह कदम बेहद जरूरी हो गया था। इससे हार्ट अटैक की स्थिति में मरीजों को थोड़ा टाइम मिलेगा और उनकी जान बचाई जा सकती है।
मरीजों को तत्काल मिलेगा इंजेक्शन
निदेशक ने कहा कि हम पूरे राज्य में मुफ्त इनोक्सापारिन इंजेक्शन उपलब्ध कराएंगे ताकि मरीज को अस्पताल पहुंचते ही प्रारंभिक और लाइफ सेविंग ट्रीटमेंट मिल सके। उन मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में भी जहां कार्डियोलॉजी विभाग मौजूद नहीं है, यह सुविधा दी जाएगी। इसके लिए विशेष इमरजेंसी सेंटर बनाए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि समय पर ट्रीटमेंट न मिलने के कारण हर साल हजारों मरीजों की मौत हो जाती है। नई पहल से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि मरीजों को पहले नजदीकी सरकारी हॉस्पिटल में सबसे जरूरी ट्रीटमेंट मिल जाए, जिससे उनकी जान बचाने की संभावना काफी बढ़ जाएगी।

