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हेमंत सोरेन, एक दृढ़ राजनीतिक सफर वाले आदिवासी नेता

2019 के घोषणा पत्र में हेमंत सोरेन ने दो प्लॉटों के बारे में जानकारी दी थी। ये दोनों जमीन 2006-2008 के बीच खरीदी गई थी, जबकि 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान हेमंत ने 23 प्लॉटों का उल्लेख किया।

by Reeta Rai Sagar
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रांची : राजनीति और विवाद समानांतर रूप से चलते हैं। ऐसे में झारखंड के नए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इससे कैसे अछूते रह सकते हैं। 49 वर्षीय हेमंत सोरेन का राजनीतिक कॅरियर दृढ़ता, कानूनी विवादों और राजनीतिक संघर्षों के बीच ही बना। जनजातीय अधिकारों की वकालत के लिए जाने जाने वाले हेमंत ने शीर्ष तक पहुंचने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया। ऐसे कई विवाद हैं, जो हेमंत के साथ-साथ चल रहे हैं।

हेमंत सोरेन की उम्र को लेकर छिड़ा विवाद

साहिबगंज जिले की बरहेट विधानसभा सीट से जीत चुके हेमंत तब विवादों में आ गए थे, जब उन्होंने चुनावी हलफनामे में अपनी उम्र बताई। इस पर बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, कभी सुना है 5 वर्षों में किसी की उम्र 7 वर्ष कैसे बढ़ सकती है। बता दें कि झारखंड सरकार के आधिकारिक वेबसाइट पर हेमंत सोरेन की उम्र 49 साल बताई गई है। उन्होंने 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान शपथ पत्र में अपनी उम्र 42 वर्ष बताई थी।

जमीन और कार खरीदने पर भी खड़े हुए सवाल

इसके साथ ही जमीन और कार को अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के नाम पर लेने को लेकर भी विवाद हुआ। 2019 के घोषणा पत्र में हेमंत सोरेन ने दो प्लॉटों के बारे में जानकारी दी थी। ये दोनों जमीन 2006-2008 के बीच खरीदी गई थी, जबकि 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान हेमंत ने 23 प्लॉटों का उल्लेख किया। ये सभी प्लॉट 2006-2008 के बीच खरीदे गए, तो इसकी जानकारी 2019 के चुनावी घोषणापत्र में क्यों नहीं दी गई।

149 दिन जेल में गुजारने पड़े हेमंत सोरेन को

हेमंत सोरेन का नाम प्रवर्तन निदेशालय की ओर से तब सुर्खियों में आया, जब तथाकथित जमीन घोटाले के मामले में मनी लॉंड्रिंग में उनका नाम आया। इसी साल 31 जनवरी को ईडी ने उन्हें हिरासत में लिया और 5 माह तक उन्हें जेल में रहना पड़ा। उन पर आरोप था कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर रांची में सरकारी जमीनों को अवैध तरीके से अपने नाम कर लिया है।

ईडी का आरोप था कि रांची में सेना की जमीन की अवैध खरीद-फरोख्त और दूसरा आदिवासी जमीन पर कब्जा। इस मामले में कुल 14 लोगों को हिरासत में लिया गया था। गिरफ्तारी के बाद उन्हें बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में बंद रखा गया। हेमंत की ओर से कपिल सिब्बल औऱ मीनाक्षी अरोड़ा ने केस लड़ा और ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने मुकदमा लड़ा। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने हेमंत सोरेन को जमानत दे दी।

हेमंत सोरेन के सलाहकार को भी करना पड़ा ईडी का सामना

इसके अलावा अवैध खनन मामले में भी ईडी ने हेमंत सोरेन के प्रेस सलाहकार और साहिबगंज के जिला अधिकारियों के घरों पर छापेमारी की थी। ईडी का कहना था कि अवैध खनन मामला 100 करोड़ का है। इस मामले में भी ईडी की ओर से कहा गया कि अवैध खनन से कमाए गए 100 करोड़ रुपये दूसरे राज्यों में भेजे गए।

भाग्य ने दिलाई राजनीति में एंट्री

हेमंत का राजनीतिक सफर अवसर और आपदाओं के संयोजन पर ही बना। 1975 में हज़ारीबाग के पास नेमरा गांव में जन्मे हेमंत का प्रारंभिक जीवन उनके पिता, शिबू सोरेन, जो झारखंड की राजनीति में चट्टान की भांति टिके रहने वाले थे, की राजनीतिक विरासत से काफी प्रभावित था। शुरुआत में हेमंत को अपने पिता के उत्तराधिकारी के रूप में नहीं देखा गया था। 2009 में उनके बड़े भाई, दुर्गा की असामयिक मृत्यु के बाद स्थिति बदल गई, जिसके कारण हेमंत को झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की राजनीतिक बागडोर संभालनी पड़ी।

केंद्र से हमेशा रही हेमंत की खटपट

भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार लगातार विरोधी रही है, और सोरेन ने इसे झारखंड के संसाधनों के शोषण के रूप में देखने में संकोच नहीं किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष 1.36 लाख करोड़ रुपये के बकाया का मुद्दा उठाते हुए केंद्र पर राज्य को उसके कोयला संसाधनों के लिए कम मुआवजा देने का बार-बार आरोप लगाया है। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही हेमंत ने 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये जो केंद्र सरकार/केंद्रीय उपक्रम पर बकाया है, उसकी वसूली के लिए विधिक कार्रवाई प्रारंभ किए जाने का निर्णय लिया।

हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान हेमंत ने कहा कि केंद्र ने दो दशकों से अधिक समय तक राज्य को नींबू की तरह निचोड़ा है। उन्होंने सरकार पर झारखंड के गरीबों की कीमत पर खुद को समृद्ध करने का आरोप लगाया। राजनीतिक विरोध, कानूनी मुद्दों और आंतरिक पार्टी संघर्षों का सामना करने के बावजूद, सोरेन सत्ता पर अपनी पकड़ बरकरार रखने में कामयाब रहे।

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