गुवाहाटी (असम) : असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक घोषणा की, जिसमें राज्य के करीमगंज जिले का नाम बदलकर ‘श्रीभूमि’ करने का निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री ने इस फैसले को लेकर एक सोशल मीडिया पोस्ट साझा करते हुए कहा कि यह बदलाव भारतीय संस्कृति और असम की ऐतिहासिक धरोहर से जुड़ा हुआ है।
उन्होंने लिखा कि करीमगंज जिले का नाम 100 साल पहले कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर ने ‘श्रीभूमि’ के रूप में रखा था, जो मां लक्ष्मी की भूमि के रूप में उनका वर्णन था। आज, असम कैबिनेट ने इस लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा किया है और हमारे लोगों की आकांक्षाओं को सम्मानित किया है।
मुख्यमंत्री सरमा ने एक तस्वीर भी साझा की, जिसमें यह कहा गया था कि करीमगंज का नाम बदलकर ‘श्रीभूमि’ करने का फैसला, जिले के लोगों की उम्मीदों और उनकी सांस्कृतिक पहचान को अधिक सशक्त रूप से प्रदर्शित करेगा। यह बदलाव क्षेत्रीय भावनाओं और ऐतिहासिक संदर्भों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर का ऐतिहासिक योगदान
रवींद्रनाथ टैगोर ने करीमगंज और उसके आसपास के क्षेत्र को अपनी काव्यात्मक रचनाओं में विशेष स्थान दिया था। उन्होंने इस क्षेत्र को ‘श्रीभूमि’ के रूप में वर्णित किया था, जो मां लक्ष्मी के आशीर्वाद और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। टैगोर का यह संदर्भ आज भी लोगों की धार्मिक और सांस्कृतिक धारा से जुड़ा हुआ है, और उनके विचारों को सम्मानित करते हुए इस क्षेत्र का नाम बदला गया है।
राजनीतिक संदर्भ
करीमगंज जिले का नाम बदलने का फैसला राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के सांसद कृपानाथ मल्लाह करीमगंज निर्वाचन क्षेत्र से वर्तमान में सांसद हैं, और यह निर्णय उनके क्षेत्र की पहचान को नया रूप देने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के नेतृत्व में यह कदम राज्य सरकार की ओर से क्षेत्रीय विकास और सांस्कृतिक धरोहर को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक अहम पहल मानी जा रही है।
देशभर में नाम बदलने की प्रवृत्ति
यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थानों और शहरों के नाम बदलने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इससे पहले, सितंबर में केंद्र सरकार ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजया पुरम’ कर दिया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस कदम को राष्ट्र को औपनिवेशिक छापों से मुक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया था।
नए बदलाव की दिशा
करीमगंज जिले का नाम बदलने से न केवल वहां की ऐतिहासिक धरोहर को सम्मान मिलेगा, बल्कि यह नए अवसरों और विकास की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। सरकार का यह कदम वहां के निवासियों की आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने और उन्हें अपनी सांस्कृतिक पहचान से जुड़ने का एक अवसर प्रदान करेगा।
इस फैसले के बाद ‘श्रीभूमि’ नाम को जिले के लोगों द्वारा स्वीकार किया जाएगा, यह देखा जाना बाकी है, लेकिन इस बदलाव ने असम के राजनीतिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य को एक नई दिशा दी है।


