जमशेदपुर: जमशेदपुर के बागबेड़ा निवासी और कश्मीर में तैनात सेना के जवान सूरज राय को जुगसलाई थाना पुलिस द्वारा पीटने और फिर जेल भेजने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए डीआईजी मनोज रतन चौथे सोमवार को जमशेदपुर पहुंचे। उन्होंने एसएसपी किशोर कौशल से मुलाकात कर पूरे मामले की जानकारी ली और फिर बागबेड़ा जाकर घटनास्थल का निरीक्षण किया।
घटनास्थल बागबेड़ा, फिर जुगसलाई पुलिस ने क्यों की कार्रवाई?
जांच में यह सामने आया कि सूरज राय के चचेरे भाई की बहस जुगसलाई थाना क्षेत्र में नहीं, बल्कि बागबेड़ा में जुगसलाई थाने के प्राइवेट ड्राइवर से हुई थी। इसके बावजूद, जुगसलाई पुलिस ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए कार्रवाई की। बताया जा रहा है कि पुलिस ने पहले सूरज राय के चचेरे भाई को थाने बुलाया, जिसके बाद सूरज राय भी जानकारी लेने वहां पहुंचे। वहीं, पुलिस ने उनके साथ अभद्रता की और उन्हें जेल भेज दिया।
डीआईजी को सौंपा गया सीसीटीवी फुटेज
डीआईजी ने जवान सूरज राय के परिवार से भी मुलाकात कर उनकी बात सुनी। परिवार ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इस मामले में भारी लापरवाही बरती गई है। जांच के दौरान घटना का सीसीटीवी फुटेज डीआईजी को सौंप दिया गया।
सेना के ब्रिगेडियर भी पहुंचे, एसएसपी से की मुलाकात

इस घटना को सेना ने भी गंभीरता से लिया है। सेना के ब्रिगेडियर और अन्य अधिकारी सोमवार को रांची से जमशेदपुर पहुंचे और एसएसपी से मुलाकात की। सेना के अधिकारियों ने इस पूरे मामले पर कहा कि पुलिस ने आर्मी प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया।
”जवान को इस तरह जेल भेजना गलत” – सेना के ब्रिगेडियर
सेना के अधिकारियों ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कोई मामला सेना के जवान से जुड़ा होता है, तो पुलिस को पहले सेना की स्थानीय यूनिट को सूचना देनी चाहिए। लेकिन, बिना सूचना के ही जवान को जेल भेज दिया गया।
जांच के आदेश, दोषियों पर होगी कार्रवाई
सेना के ब्रिगेडियर ने एसएसपी से कहा कि इस मामले की पूरी जांच कराई जाए और दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। वहीं, पुलिस ने भी जांच शुरू कर दी है और सिटी एसपी को इसकी जिम्मेदारी दी गई है।
पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
सेना के जवान के साथ हुई इस घटना ने पुलिस की भूमिका और उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सेना के अधिकारियों और डीआईजी की दखल के बाद अब इस मामले की निष्पक्ष जांच की उम्मीद बढ़ गई है। अगर पुलिस की गलती साबित होती है, तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सकती है।
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