Jamshedpur Muharram : शहर में मंगलवार को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का सेवम पूरे अकीदत और एहतराम के साथ मनाया गया। इस मौके पर मजलिस, मातम और ग़मगीन माहौल में अज़ादारी का सिलसिला दिनभर चलता रहा। तमाम अज़ादारों ने इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मजलिसों में शिरकत की और आंखें नम कीं।हुसैनी मिशन, साकची स्थित इमामबाड़े में सेवम के मौके पर मजलिस का आयोजन किया गया, जिसमें मौलाना सैयद सादिक अली ने तर्जुमान-ए-अहल-ए-बैत बनकर खिताब फरमाया।
मौलाना ने अपने बयान में करबला की सच्चाई को बयान करते हुए बताया कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद उनके घर की महिलाओं और बच्चों को बंदी बना लिया गया था। उन्हें कूफा और फिर सीरिया तक बेहरमी से ऊंटों पर बांध कर ले जाया गया। उन्होंने जिक्र किया कि इमाम हुसैन की चार वर्षीय बेटी, बीबी सकीना को भी रस्सियों से ऊंट की पाल में बांधा गया था । इस दर्दनाक मंजर को सुनकर मौजूद अज़ादारों की आंखों से आंसू छलक पड़े और मजलिस ग़मगीन हो गई।सेवम के मौके पर मानगो के ज़ाकिर नगर इमामबाड़े में भी मजलिस हुई, जिसमें मौलाना ज़की हैदर ने खिताब किया। उन्होंने भी करबला के बाद अहल-ए-बैत की महिलाओं और बच्चों पर ढाए गए जुल्म व सितम को बयान किया।
Jamshedpur Muharram : कर्बला कुर्बानी का पैग़ाम है
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ इतिहास का एक हिस्सा नहीं, बल्कि इंसानियत और कुर्बानी का वो जिंदा पैग़ाम है जो आज भी लोगों को जुल्म के खिलाफ खड़े होने का हौसला देता है।दोनों स्थानों पर मजलिस के बाद नौहा और मातम का आयोजन हुआ। अज़ादारों ने सीना ज़नी कर इमाम हुसैन और उनके साथियों को पुरख़ुलूस अंदाज़ में खिराजे अकीदत पेश किया। पूरे दिन इमामबाड़ों के इर्दगिर्द ग़म का माहौल बना रहा और लोग दीन व इंसाफ के लिए दी गई इमाम की कुर्बानी को याद कर अश्कबार होते रहे।इस मौके पर शहर के विभिन्न हिस्सों से अज़ादारों की मौजूदगी रही और सभी ने अमन, इंसाफ और इंसानियत के रास्ते पर चलने का पैगाम लिया।