Jamshedpur : जमशेदपुर में बिरसानगर पीएम आवास योजना में लाभुकों को लोन देने से बैंक कंजूसी बरत रहे हैं। लाभुकों के 279 आवेदन डेढ़ साल से बैंकों में लंबित हैं। लाभुक बैंकों का चक्कर काट कर थक गए हैं। जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति बराबर बैंकों के अधिकारियों के साथ मीटिंग करती है। मगर, इस समस्या का हल नहीं निकल पा रहा है। इससे लाभुक परेशान हो गए हैं। पीएम आवास योजना की प्रगति पर भी इसका खराब असर पड़ रहा है। जेएनएसी के अधिकारियों ने अब इन बैंकों को एक बार फिर रिमाइंडर दिया है कि वह लाभुकों का लोन पास करें, ताकि योजना का काम आगे बढ़ता रहा।
लाभुकों को परेशान कर रहे केनरा व आइसीआइसीआइ बैंक
पीएम आवास येाजना के तहत अब 104 लोगों के लोन मंजूर हुअ है। बैंक की तरफ से इनक लाभुकों का पैसा दे दिया गया है। जबकि, लोन के 50 फार्म अभी मंजूरी की प्रक्रिया में हैं। कहा जा रहा है कि इन 50 लाभुकों का लोन जल्द मंजूर हो जाएगा। मगर, 279 लाभुकों के लोन अभी तक मंजूर नहीं हो पाए हैं। इनमें से 266 आवेदन केनरा बैंक में लंबित हैं। कुल 370 लाभुकों ने केनरा बैंक में लोन का आवेदन किया था। 104 आवेदनों को बैंक ने मंजूरी दी है। बाकी के 266 लाभुकों के लोन मंजूर नहीं हो पाए हैं। इन लाभुकों को दौड़ाया जा रहा है।
लाभुक काट रहे बैंक के चक्कर
लाभुकों का कहना है कि वह बराबर बैंक के चक्कर काट रहे हैं। उन्हें दो दिन बाद-तीन दिन बाद आने को कह दिया जाता है। जब भी वह जाते हैं, उन्हें बताया जाता है कि अभी काम नहीं हो पाया है। बाद में आएं। किसी को दस्तावेज कम होने की बात कह कर दौड़ाया जा रहा है, तो किसी को कुछ। इस वजह से लाभुक परेशान हो गए हैं। बिष्टुपुर की आइसीआइसीआइ बैंक की शाखा में 13 आवेदन लंबित हैं। यहां भी केनरा बैंक वाली ही कहानी चल रही है।
लोन नहीं होने से लेट हो रही योजना
बताया जा रहा है कि लाभुकों के लोन मंजूर नहीं होने से बिल्डर को पैसा नहीं मिल पा रहा है और इससे योजना लेट हो रही है। कहा जा रहा है कि जब सरकारी योजनाओं में लोन के बारे में बैंकों का यह हाल है तो आम तौर पर बैंक से कर्ज लेने में तो लोगों का पसीना छूट जाता होगा।
बिगड़ रहा बैंकों का ऋण-जमा अनुपात
पीएम आवास योजना में लोन की मंजूरी का यह हाल तब है, जब जिला बैंकर्स समिति की मीटिंग जिले में लगातार हो रही है। इस मीटिंग में प्रशासनिक अधिकारी इस बात को लेकर मंथन करते हैं कि बैंक सभी योजनाओं में लाभुकों को लोन दे। बैंकों पर भी जिले का ऋण-जमा अनुपात सुधारने का दबाव बनाया जाता है। ऋण-जमा अनुपात वह रेशियो है, जिसके अनुसार बैंकों को जिले में कुल जमा के अनुपात में कर्ज देना होता है।