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झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 : BJP के 66 प्रत्याशियों में से 12 महिलाएं, कौन हैं ये, पढ़ें

घोषित 66 उम्मीदवारों में 12 महिलाएं हैं, जिनमें से चार पहली बार चुनाव लड़ रही हैं, जबकि आठ का राजनीति में मजबूत पृष्ठभूमि रही है।

by Anand Mishra
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जमशेदपुर : झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को अपने कोटे की 68 सीटों में से 66 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है। इस बार पार्टी ने टिकट वितरण में नेताओं के परिवारों को विशेष प्राथमिकता दी है। पत्नी, बेटा, बहू, बेटी और अन्य रिश्तेदारों को भाजपा ने मैदान में उतारा है। घोषित 66 उम्मीदवारों में 12 महिलाएं हैं, जिनमें से चार पहली बार चुनाव लड़ रही हैं, जबकि आठ का राजनीति में मजबूत पृष्ठभूमि रही है। आइए जानते हैं इन महिला प्रत्याशियों के बारे में विस्तार से:

मीरा मुंडा: पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा पहली बार पोटका विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। लंबे समय से सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहीं मीरा मुंडा, पार्टी की गतिविधियों में भी जुड़ी रही हैं। उनके पति अर्जुन मुंडा के राजनीतिक अनुभव के चलते मीरा मुंडा इस सीट पर मजबूत दावेदार मानी जा रही हैं। भाजपा ने पोटका की पूर्व विधायक मेनका सरदार का टिकट काटकर मीरा मुंडा को उतारा है।

गीता कोड़ा: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा राजनीति में किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। वे जगन्नाथपुर से विधायक और सिंहभूम से सांसद रह चुकी हैं। भाजपा में शामिल होने के बाद, गीता कोड़ा फिर से जगन्नाथपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं, जो उनके लिए एक महत्वपूर्ण चुनावी चुनौती होगी।

सीता सोरेन: पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी और शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन को भाजपा ने इस बार जामताड़ा सीट से मैदान में उतारा है। तीन बार विधायक रह चुकीं सीता सोरेन ने हाल ही में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) छोड़कर भाजपा का दामन थामा था।

पूर्णिमा दास: पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास पहली बार जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनाव लड़ रही हैं। राजनीति में उनका अनुभव नहीं है, लेकिन ससुर के राजनीतिक अनुभव और जनाधार के आधार पर उनकी उम्मीदवारी को मजबूत माना जा रहा है। भाजपा ने उन्हें इस प्रतिष्ठित सीट से मैदान में उतारा है, जहां पार्टी का मजबूत पकड़ है।

नीरा यादव: कोडरमा की विधायक नीरा यादव, जो 2014 और 2019 में चुनाव जीत चुकी हैं, हैट्रिक की उम्मीद के साथ फिर से मैदान में हैं। शिक्षा मंत्री रह चुकी नीरा यादव ने राज्य में शिक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और वे अपने क्षेत्र में लोकप्रिय हैं।

अर्पणा सेन गुप्ता: धनबाद की नेता अर्पणा सेन गुप्ता, जिनका परिवार कोयलांचल में प्रभावशाली रहा है, फिर से निरसा विधानसभा सीट से भाजपा की उम्मीदवार हैं। अर्पणा ने 2019 में भाजपा का दामन थामा और इस बार पार्टी ने उन पर भरोसा जताते हुए फिर से उन्हें टिकट दिया है।

रागिनी सिंह: धनबाद के सिंह मेंशन की बहू रागिनी सिंह, जिनके ससुर सूर्यदेव सिंह और पति संजीव सिंह की राजनीतिक विरासत समृद्ध रही है, एक बार फिर झरिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। रागिनी सिंह के लिए यह चुनाव उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का मौका है।

तारा देवी: सिंदरी के विधायक इंद्रजीत महतो की पत्नी तारा देवी, जो राजनीति में नया चेहरा हैं, इस बार सिंदरी से भाजपा की उम्मीदवार हैं। इंद्रजीत महतो के बीमार होने के कारण पार्टी ने उनकी पत्नी तारा देवी को टिकट दिया है।

गीता बालमुचू: चाईबासा की नगर पर्षद की पूर्व अध्यक्ष गीता बालमुचू कोल्हान में एक जाना-पहचाना चेहरा हैं। भाजपा ने उन्हें चाईबासा सीट से मैदान में उतारा है। सामाजिक कार्यों में सक्रियता और जनता के बीच पकड़ के कारण भाजपा ने उन पर विश्वास जताया है।

पुष्पा देवी: पलामू के छतरपुर सीट से भाजपा की उम्मीदवार पुष्पा देवी, जिन्होंने 2019 में शानदार जीत हासिल की थी, फिर से मैदान में हैं। उनके पति मनोज भुइंया पूर्व सांसद रह चुके हैं और पुष्पा देवी अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं।

मंजू देवी: गिरिडीह के जमुआ सीट से भाजपा ने मंजू देवी को प्रत्याशी बनाया है। मंजू देवी पूर्व विधायक सूकर रविदास की बेटी हैं और 2019 में कांग्रेस से चुनाव लड़ चुकी हैं। हाल ही में भाजपा में शामिल होने के बाद, उन्हें टिकट देकर पार्टी ने एक बड़ा दांव खेला है।

मुनिया देवी: गिरिडीह की जिला परिषद अध्यक्ष मुनिया देवी को गांडेय विधानसभा सीट से भाजपा ने मैदान में उतारा है। इस सीट पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के खिलाफ उन्हें उतारा गया है, जिससे चुनाव और भी दिलचस्प हो गया है। भाजपा ने इन महिलाओं पर दांव खेलते हुए यह सुनिश्चित किया है कि पार्टी न सिर्फ परिवारवाद को बनाए रखे, बल्कि इन प्रत्याशियों के सामाजिक और राजनीतिक अनुभव का भी पूरा फायदा उठाए।

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