रांची : झारखंड सरकार प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर जल्द ही शिकंजा कसने की तैयारी में है। सरकार पहले राज्य के विभिन्न जिलों में उपायुक्त की अध्यक्षता वाली कमेटियों से संबंधित बैठकों की रिपोर्ट मांगेगी। उसके बाद आवश्यक हुआ तो एक ठोस कानून बनाने पर विचार भी किया जाएगा। इस संबंध में राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने मंगलवार को विधानसभा में जानकारी दी।
विधानसभा में हुआ सवाल-जवाब
विधानसभा के बजट सत्र के 17वें दिन सोमवार के बाद, 18वें दिन मंगलवार को भी निजी स्कूलों की मनमानी और री-एडमिशन के नाम पर शुल्क वसूली का मामला उठाया गया। इस विषय पर हजारीबाग के विधायक प्रदीप प्रसाद ने सवाल किया। उन्होंने सरकार से पूछा कि निजी स्कूलों में फीस के निर्धारण के लिए कानून क्यों नहीं बनाया जा सकता। प्रदीप प्रसाद ने कहा कि कोई ऐसा स्कूल नहीं है, जो री-एडमिशन के नाम पर छात्रों से शुल्क वसूली नहीं करता हो।
मंत्री ने दिया जवाब
मंत्री रामदास सोरेन ने जवाब देते हुए कहा कि राज्य में निजी स्कूलों के शुल्क संबंधी मुद्दे पर उपायुक्त की अध्यक्षता में कमेटियां बनाई गई हैं। वे पहले ही बैठकें कर रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कमेटी की ओर से अनुशंसा की जाती है, तो फीस निर्धारण को लेकर कानून भी बनाया जाएगा।
नेता प्रतिपक्ष ने दिए सुझाव
इस मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी मंत्री को सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि सभी उपायुक्तों से यह पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने कितनी बैठकें की हैं और कहां हुईं। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायाधिकरण भी इस मुद्दे पर काम कर रहा है और राज्य भर में डीसी की अध्यक्षता वाली कमेटियां भी हैं। हालांकि, सवाल यह है कि ये बैठकें कहां हो रही हैं और इनका परिणाम क्या है।
विधानसभा अध्यक्ष का बयान
चर्चा के दौरान विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि स्थिति को देखकर लगता है कि इस मामले में जल्द ही कानून बनाना चाहिए।