Jamshedpur (Jharkhand) : नोटिफिकेशन जारी कर कुलपति का सम्मान समारोह आयोजित करने को लेकर कोल्हान विश्वविद्यालय सवालों के घेरे में आ गया है। सवाल कई हैं, लेकिन सटीक जवाब नहीं मिल रहा है। जिम्मेदार पदाधिकारी बगलें झांकते नजर आ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस सम्मान समारोह के आयोजन पर जो खर्च हुआ, वह कहां से लाया गया, इसका जवाब देने की बजाय विश्वविद्यालय की पदाधिकारियों ने मौन साध लिया है।
सवालों से घिरे कुलसचिव ने कहा-जानकारी नहीं
शायद ही किसी ने कभी देखा-सुना हो कि कोई कुलपति किसी विश्वविद्यालय में योगदान दे, तो उसके स्वागत-सम्मान समारोह को आयोजित करने के लिए इतना तामझाम किया जाए। कोल्हान विश्वविद्यालय में कुलपति पद पर प्रो. अंजिला गुप्ता के योगदान करने के करीब एक महीने बाद यह समारोह किया गया। इसके लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया। विश्वविद्यालय के कुलसचिव के हस्ताक्षर से नोटिफिकेशन जारी किया गया। लेकिन, इस संबंध में पूछने पर जवाब जो मिला है, वह हैरान करने वाला है। कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. परशुराम सियाल से इस नोटिफिकेशन और समारोह के संबंध में पूछा गया तो, उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। ऐसे आयोजन के लिए यूनिवर्सिटी लॉ या किसी अन्य नियम-प्रावधान के सवाल पर भी उन्होंने किसी तरह की जानकारी नहीं होने की बात कही।
कुलसचिव के हस्ताक्षर से जारी की गई अधिसूचना
बाइलिंगुअल न्यूज पोर्टल ‘द फोटोन न्यूज’ की ओर से कुलसचिव डॉ. सियाल को उन्हीं के हस्ताक्षर से नोटिफिकेशन जारी किये जाने का हवाला देकर सवाल पूछा गया। कुछ देर बाद में उन्होंने अधिसूचना जारी करने को लेकर हामी तो भरी, लेकिन नियम का हवाला देने के सवाल पर मौन हो गए। उन्होंने यह कह कर पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि नये कुलपति के योगदान करने पर इस तरह के आयोजन किये जाते हैं ताकि विश्वविद्यालय के सभी अधिकारियों, शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों के बीच एक अच्छा संदेश जाए। कुल मिला कर नोटिफिकेशन जारी कर आधिकारिक तौर पर स्वागत समारोह का आयोजन किये जाने के सवाल पर कुलसचिव किसी प्रावधान का हवाला नहीं दे। वह यह भी नहीं बता पाए कि इससे पहले विश्वविद्यालय के इतिहास में कब इस तरह का आयोजन किया गया था।
आखिर किस मद से खर्च हुई समारोह की राशि
इस समारोह में जो खर्च हुआ, उसे विश्वविद्यालय के किस फंड से किया गया, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। माना जा रहा है कि कुलसचिव के किसी सीनियर अधिकारी ने ही उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित किया था और पूर्व के इतिहास अथवा प्रावधानों की जानकारी लिये बगैर ही आनन-फानन में यह नोटिफिकेशन जारी कर दिया। ऐसे में, कुलसचिव डॉ. सियाल का अपने ही नोटिफिकेशन से पलटना और इस मामले पर नया बयान देना हैरान करने वाला है।
फंड के दुरुपयोग पर उभर रहे विरोध के स्वर
दूसरी ओर विश्वविद्यालय सूत्रों का कहना है कि स्वागत समारोह का आयोजन कर विश्वविद्यालय में नई परिपाटी की शुरुआत की गई है। सवाल यह है कि क्या इसमें विश्वविद्यालय के फंड का उपयोग किया जा रहा है या फिर किसी दूसरे स्रोतों से धनउगाही की जा रही है। इसे लेकर विश्वविद्यालय में विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं। ऐसे लोगों का कहना है कि पहले भी विश्वविद्यालय में नये कुलपति आते रहे हैं, लेकिन इस तरह बाकायदा समारोह आयोजित कराकर कभी स्वागत समारोह नहीं किया गया। यह आयोजन महज चापलूसी के लिए किया गया है। इस समारोह के बाद कुलपति ने विश्वविद्यालय के सभी अधिकारियों के साथ बैठक की। उस बैठक में विश्वविद्यायय के सभी डीन, विभागाध्यक्ष, कॉलेजों के प्राचार्य व प्रभारी प्राचार्य भी शामिल थे। ऐसे में स्वागत समारोह का आयोजन सिर्फ गुलदस्ता, गुणगान और चापलूसी की इबारत लिखने के लिए किया गया है।
वेतन के लिए तरस रहे नीड बेस्ड शिक्षक
इसके अलावा विश्वविद्यालय एक-एक पैसे के लिए तरह रहा है। कॉलेजों को लंबे समय से कंटिजेंसी की राशि नहीं मिल रही है। इस वजह से कॉलेजों व परीक्षा का संचालन तक प्रभावित होने लगा है। विश्वविद्यालय के कॉलेजों में सेवारत बीएड समेत विभिन्न वोकेशनल कोर्स के नीड बेस्ड शिक्षकों का वेतन लंबित है। उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा चुकी है। इसे लेकर कुलपति प्रो. अंजिला गुप्ता के स्वागत समारोह से ठीक पहले इन शिक्षकों ने उनका घेराव किया था। एक तरफ विश्वविद्यालय की यह स्थिति है और दूसरी तरफ स्वागत-सम्मान समारोह में के नाम पर खर्च हो रहा है।