रांची: रांची के प्रसिद्ध भगवान बिरसा मुंडा जैविक उद्यान (Birsa Munda Zoo Ranchi) में बुधवार रात एक दर्दनाक घटना घटी जब 15 वर्षीय शेरनी प्रियंका (Sherni Priyanka) की अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद मौत हो गई। शेरनी को वर्ष 2014 में बेंगलुरु के बन्नरघट्टा चिड़ियाघर से रांची लाया गया था। अब चिड़ियाघर में केवल 13 वर्षीय शेर शशांक (Sher Shashank) ही जीवित बचा है।
वेटरनरी कॉलेज की रिपोर्ट में सामने आया मौत का कारण
रांची पशु चिकित्सा महाविद्यालय (Ranchi Veterinary College) के पैथोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. एमके गुप्ता (Dr. MK Gupta) की अध्यक्षता में शेरनी का पोस्टमार्टम किया गया। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, शेरनी की मौत का मुख्य कारण उसकी बच्चेदानी में गंभीर संक्रमण (Uterus Infection in Lioness) था। रिपोर्ट के मुताबिक, संक्रमण ने तेजी से शरीर को प्रभावित किया जिससे बचाव संभव नहीं हो सका।
हाइब्रिड प्रजातियों में कम होती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
डॉ. गुप्ता ने जानकारी दी कि हाइब्रिड प्रजातियों के वन्य जीवों (Hybrid Wild Animals) में रोग प्रतिरोधक क्षमता अपेक्षाकृत कम होती है, जिससे उनमें संक्रमण का खतरा अधिक बना रहता है। शेर-शेरनी की औसत उम्र 15 से 18 वर्षों के बीच होती है, ऐसे में प्रियंका की मौत औसत जीवनकाल के अंतर्गत आती है, परंतु संक्रमण ने उसकी स्थिति को और जटिल बना दिया।
चिड़ियाघर प्रबंधन ने भेजे अंगों के नमूने, नए शेरनी लाने की तैयारी
बिरसा मुंडा जैविक उद्यान प्रबंधन द्वारा शेरनी के महत्वपूर्ण अंगों के नमूने लेकर विस्तृत जांच के लिए वेटरनरी कॉलेज भेजे गए हैं। वहीं दूसरी ओर, जू के चिकित्सक डॉ. ओम प्रकाश ने जानकारी दी कि अब शेर ‘शशांक’ के लिए रायपुर के नंदनवन जू से एक्सचेंज योजना के तहत एक नई शेरनी लाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इसके बदले रांची जू से क्रोकोडाइल और हायना भेजे जाएंगे।
चिड़ियाघर में वन्य जीव संरक्षण और प्रजनन कार्यक्रम पर असर
प्रियंका की मृत्यु से बिरसा मुंडा जैविक उद्यान के वन्य जीव संरक्षण प्रयासों को झटका लगा है। विशेषज्ञों का मानना है कि शेरनी के न रहने से जू के प्रजनन कार्यक्रम (Zoo Breeding Programme) पर भी असर पड़ेगा। नई शेरनी के आगमन से इस स्थिति में सुधार आने की उम्मीद है।