Jamshedpur (Jharkhand) : टाटानगर रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की योजना को लेकर अब रेलवे ने तेज़ी दिखानी शुरू कर दी है। इसी क्रम में रेलवे की ओर से लोको कॉलोनी में रहने वाले लोगों को सोमवार को उजाला नोटिस थमा दिया गया। करीब 50 साल पुरानी इस बस्ती को तोड़े जाने की तैयारी की जा रही है, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया है। रेलवे के इस कदम के खिलाफ बस्ती वासियों ने अब आवाज़ बुलंद करनी शुरू कर दी है।
उनका कहना है कि वे पिछले पांच दशकों से यहां रह रहे हैं, ऐसे में अगर उन्हें हटाया जाना है तो पहले वैकल्पिक पुनर्वास की उचित व्यवस्था की जाए।आंदोलन की चेतावनी, विधायक और सांसद से गुहारनोटिस मिलने के बाद बस्ती के लोगों ने आंदोलन की चेतावनी दी है। कई लोग अपने घरों को बचाने के लिए विधायक और सांसद से संपर्क साध रहे हैं। इलाके में बैठकों का दौर भी शुरू हो चुका है और लोग संगठित होकर रेलवे के इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में हैं।स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर रेलवे को यहां से बस्ती हटानी ही थी तो पहले इसे बसने क्यों दिया गया। अब 50 साल बाद अचानक उजाड़ने का फैसला कहां तक उचित है?
वंदे भारत के लिए बनेगी वाशिंग लाइन, रेलवे क्वार्टर भी तोड़े जाएंगे
जानकारी के अनुसार, रेलवे यहां वंदे भारत एक्सप्रेस के लिए वाशिंग लाइन तैयार करने जा रहा है। साथ ही कई अन्य विकास योजनाएं भी प्रस्तावित हैं। इसके तहत न केवल बस्ती बल्कि रेलवे के बी-टाइप क्वार्टर भी तोड़े जाएंगे।लोको कॉलोनी का इलाका टाटानगर स्टेशन से ढाई किलोमीटर की दूरी पर है। स्टेशन से आधा किलोमीटर आगे एक रेलवे फाटक आता है, जिसे पार करने के बाद दो किलोमीटर के दायरे में यह बस्ती फैली हुई है। इसका कुछ हिस्सा सालगाझड़ी क्षेत्र में भी आता है, जो स्थानीय पहाड़ी पूजा के लिए प्रसिद्ध है।
पीएम दौरे से पहले भी हुआ था विरोध
गौरतलब है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जमशेदपुर दौरा प्रस्तावित था, तब दौरे के दो दिन पहले ही रेलवे अधिकारी जेसीबी लेकर बस्ती को तोड़ने पहुंचे थे। स्थानीय लोगों के विरोध के बाद यह अभियान रोका गया था। मामले की जानकारी पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा तक पहुंची, जिन्होंने तत्काल हस्तक्षेप कर अभियान को रुकवाया था।
बस्ती में दहशत, लेकिन हौसला कायम
रेलवे के नोटिस के बाद से बस्ती में तनाव और दहशत का माहौल है, लेकिन लोग अपने आशियाने को बचाने के लिए डटे हुए हैं। उन्हें उम्मीद है कि या तो सरकार उनकी बात सुनेगी या वे संगठित आंदोलन से न्याय हासिल करेंगे।