Ranchi (Jharkhand) : जगन्नाथपुर मंदिर में रविवार को होने वाली घूरती रथ यात्रा से ठीक एक दिन पहले, शनिवार को भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र को विशेष गुंडिचा (गंज) भोग अर्पित किया गया। इस खास भोग के दर्शन के लिए मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा।
गुंडिचा भोग का विशेष महत्व
मुख्य पुजारी रामेश्वर पाढ़ी बताते हैं कि गुंडिचा (गंज) भोग भगवान जगन्नाथ की मौसीबाड़ी यात्रा से गहरा संबंध रखता है। यह भोग साल में केवल दो बार अर्पित किया जाता है – एक बार रथ यात्रा के दौरान जब भगवान चलते रथ पर मौसीबाड़ी (गुंडिचा मंदिर) जाते हैं और दूसरी बार घूरती रथ यानी वापसी यात्रा से ठीक पहले। मान्यता है कि देवी लक्ष्मी और गुंडिचा माता मिलकर यह भोग तैयार करती हैं, ताकि भगवान को घर वापसी से पहले विशेष रूप से तृप्त किया जा सके। यह भोग प्रेम, क्षमा और पुनर्मिलन का प्रतीक भी माना जाता है।
सात्विक व्यंजनों से सजा गुंडिचा भोग
जगन्नाथपुर मंदिर के प्रथम सेवक और सेवायित सह जगन्नाथपुर मंदिर न्यास समिति के सदस्य ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव ने बताया कि गुंडिचा (गंज) भोग एक पूर्ण सात्विक भोग होता है। इसमें खास तौर पर देशी घी में बनी खिचड़ी, विभिन्न प्रकार की मौसमी सब्जियों से बने व्यंजन, खीर और पूरी जैसे मिष्ठान्न, देसी चावल और मूंग की दाल शामिल होती है। यह भोजन पूरी तरह से देवताओं के स्वाद और नियमों के अनुसार तैयार किया जाता है। यह भी माना जाता है कि गुंडिचा भोग देवी लक्ष्मी की भावनात्मक प्रतीकात्मक क्षमा याचना है, क्योंकि भगवान उन्हें बिना बताए मौसीबाड़ी चले गए थे।
भोग के बाद भक्तों में बांटा गया प्रसाद
गुंडिचा भोग भगवान को अर्पित करने के बाद भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। माना जाता है कि इसे ग्रहण करने से पापों का नाश होता है, मनोकामनाएं पूरी होती हैं और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है। पुरी में यह परंपरा हजारों वर्षों से निभाई जा रही है और रांची के जगन्नाथपुर मंदिर में भी इसे पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
बारिश के बीच भी उमड़ी भक्तों की भीड़
इधर, रविवार को घूरती रथयात्रा पर भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा मौसीबाड़ी से अपने धाम लौटेंगे। घूरती रथयात्रा से पहले शनिवार को बारिश की हल्की फुहारों के बीच भी भक्तों की भारी भीड़ मंदिर में दर्शन के लिए उमड़ी। भक्त थाली, नारियल, सिंदूर, अगरबत्ती और माचिस की डिब्बियां लेकर कतारबद्ध होकर मंदिर में प्रवेश का इंतजार करते नजर आए। उनके चेहरों पर भगवान के प्रति गहरी आस्था स्पष्ट रूप से झलक रही थी।
रथ को मानते हैं भगवान का साक्षात स्वरूप
श्रद्धालु तीनों विग्रहों के रथ को भगवान का साक्षात स्वरूप मानते हैं। रथ के चारों ओर खड़े पुजारी भक्तों द्वारा चढ़ाए गए प्रसाद को स्वीकार कर रहे थे। भक्तों ने रथ पर लाल चुनरी, मौली धागे, अगरबत्ती, इलायची और बादाम अर्पित किए। भक्तों ने भगवान के समक्ष माथा टेक कर अपने सुखी और समृद्ध जीवन की प्रार्थना की।