जमशेदपुर (झारखंड) : संयुक्त ग्राम सभा संघर्ष समिति, उलीडीह (मानगो) ने मानगो नगर निगम के गठन को असंवैधानिक करार देते हुए यहां चुनाव नहीं कराने और ग्राम सभा आधारित पारंपरिक शासन व्यवस्था को मान्यता देने की मांग की है। समिति ने शनिवार को बालीगुमा स्थित एनएच-33 के एक होटल में प्रेस वार्ता आयोजित कर यह मुद्दा उठाया।
समिति के मुख्य तर्क और मांगें
- झारखंड सरकार की 23.08.2017 की अधिसूचना अनुसूचित क्षेत्रों पर लागू नहीं होती।
- पाँचवीं अनुसूची क्षेत्र में किसी भी कानून को लागू करने से पहले राज्यपाल को आदिवासी सलाहकार परिषद (टीएसी) से परामर्श लेना आवश्यक है, लेकिन मानगो में ऐसा नहीं हुआ।
- मानगो के 12 मौजा की भूमि पूरी तरह आदिवासी स्वामित्व में है और एसएआर कोर्ट ने भूमि वापसी के आदेश भी दिए हैं।
- संविधान के अनुच्छेद 243 (य) और (ग) स्पष्ट करते हैं कि अनुसूचित क्षेत्रों में नगर निगम या नगरपालिका का गठन नहीं किया जा सकता।
- 74वें संविधान संशोधन के बावजूद संसद ने अब तक अनुसूचित क्षेत्रों में नगर निगम गठन के लिए कोई कानून पारित नहीं किया है। इस तथ्य की पुष्टि भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने आरटीआई में भी की है। समिति का निष्कर्ष
संयुक्त ग्राम सभा संघर्ष समिति का कहना है कि मानगो नगर निगम का गठन, वार्ड परिसीमन, चुनाव और आरक्षण सब असंवैधानिक एवं गैर-कानूनी हैं। समिति ने चुनाव रोकने और ग्राम सभा आधारित पारंपरिक शासन व्यवस्था को बहाल करने की मांग दोहराई है।