Ranchi : मोनोलिथिस इंडिया लिमिटेड ने 82.02 करोड़ रुपये के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) की घोषणा की है। यह आईपीओ 12 जून 2025 से खुलेगा और 16 जून 2025 तक निवेशकों के लिए उपलब्ध रहेगा। कंपनी ने शेयर का फेस वैल्यू ₹10 और प्राइस बैंड ₹135 से ₹143 प्रति इक्विटी शेयर तय किया है। यह पेशकश नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के ईमरज प्लेटफॉर्म पर लॉन्च की जा रही है।
उद्योग विस्तार और नई यूनिट की योजना
कंपनी द्वारा जारी विवरण के अनुसार, कुल 57,36,000 इक्विटी शेयर जारी किए जा रहे हैं। आईपीओ से प्राप्त राशि का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। इसमें नई निर्माण इकाई के लिए ₹16.58 करोड़, सब्सिडियरी मेटलुर्जिका इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में ₹27.90 करोड़ का निवेश, ₹20 करोड़ की कार्यशील पूंजी और सामान्य कॉर्पोरेट जरूरतें शामिल हैं।
इस आईपीओ का प्रबंधन हेम सिक्योरिटीज कर रहा है, जबकि केफिन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड रजिस्ट्रार की भूमिका निभा रही है।
शेयरों का वितरण और आवेदन का तरीका
क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) : 27,23,000 शेयर
नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (NII) : 8,18,000 शेयर
रिटेल इनवेस्टर्स (RII) : 19,07,000 शेयर
मार्केट मेकर्स : 2,88,000 शेयर
न्यूनतम आवेदन लॉट 1,000 शेयर का है।
कंपनी की पृष्ठभूमि
मोनोलिथिस इंडिया लिमिटेड की स्थापना वर्ष 2018 में हुई थी। कंपनी विशेष ग्रेड के सिलिका रैमिंग मास का निर्माण करती है, जिसका इस्तेमाल स्टील इंडक्शन फर्नेस में होता है। इसका मुख्य संयंत्र पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में स्थित है, जिसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 1.32 लाख MTPA है। कंपनी प्रमुख रूप से पूर्वी भारत के स्टील निर्माताओं को अपनी सेवाएं देती है। यह कंपनी अल्फा-क्वार्ट्जाइट और स्टोन बोल्डर से बने रैमिंग मास के पांच ग्रेड बनाती है, जो विभिन्न प्रकार की भट्ठियों के लिए अनुकूल होते हैं।
वित्तीय प्रदर्शन की स्थिति
वित्तीय वर्ष 2023 से 2025 तक रेवेन्यू ग्रोथ: CAGR 52.46%
वित्तीय वर्ष 2025 का रेवेन्यू: ₹9,734.43 लाख
शुद्ध लाभ: ₹1,448.80 लाख (मार्जिन: 14.88%)
ROE: 53.94%
ROCÉ: 46.22%
कस्टमर रिपीट रेट (FY24): 61.44%
ऋण-इक्विटी अनुपात: 1 से कम
नेट वर्थ: ₹3,520.48 लाख
प्रबंधन और नेतृत्व
कंपनी के चेयरमैन प्रभात टेक्रिवाल हैं, जिनके पास 36 वर्षों का रिफ्रैक्टरी इंडस्ट्री अनुभव है। मैनेजिंग डायरेक्टर हर्ष टेक्रिवाल हैं, जिन्होंने कार्डिफ यूनिवर्सिटी से स्नातक किया है और उनके पास 7 वर्षों का अनुभव है। शर्मीला टेक्रिवाल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं और उनके पास 23 वर्षों का कार्य अनुभव है।
इस्पात उद्योग का परिदृश्य
भारत कच्चे और तैयार इस्पात का दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 के अनुसार 2030 तक 300 मिलियन टन उत्पादन क्षमता और प्रति व्यक्ति 160 किलोग्राम उपभोग का लक्ष्य तय किया गया है। भारत का द्वितीयक इस्पात क्षेत्र कुल उत्पादन का 40% हिस्सा देता है, जिसमें इंडक्शन फर्नेस की भूमिका महत्वपूर्ण है।
रैमिंग मास के फायदे
कम तापीय चालकता, जिससे ऊर्जा की बचत
स्थिर लाइनिंग के लिए कम विस्तार गुणांक
98.9% से अधिक सिलिका की शुद्धता
अशुद्धियों के ऑक्सीकरण में सहायक
अन्य उत्पादों की तुलना में 10-20% तक किफायती
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