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Jamshedpur Women’s University : जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में पुरानी पेंशन योजना लागू, अधिसूचना जारी

यूनिवर्सिटी की 13वीं सिंडिकेट मीटिंग में लिया गया निर्णय, अधिसूचना जारी

by Anand Mishra
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जमशेदपुर : जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी ने अपने कर्मचारियों के हित में एक बड़ा निर्णय लिया है। यूनिवर्सिटी में पुरानी पेंशन योजना (ओल्ड पेंशन स्कीम) को फिर से लागू कर दिया गया है। यह फैसला 27 नवंबर 2024 को हुई 13वीं सिंडिकेट बैठक में लिया गया। झारखंड सरकार के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा के बाद इसे मंजूरी दी गई। सिंडिकेट के फैसले के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अधिसूचना जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि यह योजना उन सभी कर्मचारियों पर लागू होगी, जो 1 दिसंबर 2004 से पहले और बाद में यूनिवर्सिटी सेवा में जुड़े हैं।

राज्य सरकार के संकल्प पर लिया गया निर्णय

झारखंड सरकार के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने 2 सितंबर 2024 को एक संकल्प जारी किया था, जिसके तहत राज्य के विश्वविद्यालयों में पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने का मार्ग प्रशस्त हुआ। इसी संकल्प के आलोक में रांची विश्वविद्यालय, भागलपुर विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय और क.स.द. संस्कृत विश्वविद्यालय में यह योजना पहले ही लागू की जा चुकी है। अब जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाया है।

1 दिसंबर से जुड़े कर्मचारियों को भी होगा फायदा

यूनिवर्सिटी की ओर से जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि 1 दिसंबर 2004 के बाद योगदान देने वाले कर्मचारियों को भी पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा। पहले यह लाभ केवल 1 दिसंबर 2004 से पहले जुड़े कर्मचारियों तक सीमित था। यह निर्णय यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों के भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे कर्मचारियों का भरोसा यूनिवर्सिटी प्रशासन पर और मजबूत होगा।

कर्मचारियों के लिए क्यों खास है पुरानी पेंशन योजना?

पुरानी पेंशन योजना कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय स्थिरता प्रदान करती है। इसमें हर महीने एक निश्चित पेंशन दी जाती है, जिससे रिटायरमेंट के बाद भी आर्थिक परेशानियां नहीं होतीं। यूनिवर्सिटी का यह फैसला न केवल कर्मचारियों के हित में है, बल्कि यह उनके कार्य प्रदर्शन को भी बढ़ावा देगा। यह कदम झारखंड में शिक्षा के क्षेत्र में कर्मचारियों के लिए एक नई उम्मीद जगाने वाला साबित हो सकता है।

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