पलामू : झारखंड के पलामू जिले में मसीही समुदाय ने ईस्टर संडे को प्रभु यीशु मसीह के पुनरुत्थान के पर्व के रूप में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया। इस विशेष अवसर पर रविवार सुबह डालटनगंज के आबादगंज कब्रिस्तान में श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों की कब्रों पर मोमबत्तियां और पुष्पमालाएं चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। तत्पश्चात यूनियन चर्च में सुबह 6 बजे से विशेष चर्च आराधना का आयोजन हुआ, जिसमें प्रभु यीशु के पुनर्जीवित होने की खुशखबरी साझा की गई। मिस्सा अनुष्ठान में शामिल होकर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रभु की स्तुति और प्रार्थना की।
यीशु मसीह के पुनरुत्थान का संदेश
पादरी प्रभु रंजन मसीह ने इस अवसर पर अपने संदेश में बताया कि ईस्टर संडे गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद मनाया जाता है, जिस दिन प्रभु यीशु मसीह क्रूस पर चढ़ाए गए थे। उस समय उनके अनुयायियों में गहरा दुःख और निराशा व्याप्त हो गई थी। लेकिन तीसरे दिन रविवार को जब प्रभु यीशु मसीह पुनर्जीवित हुए, तो यह खबर उनके अनुयायियों के लिए आशा और प्रकाश की किरण बन गई। उन्होंने आगे कहा कि यीशु मसीह ने अपने अनुयायियों को धर्म, कर्म, शांति और मानवता का उपदेश दिया, जो आज भी हर मसीही के जीवन का मार्गदर्शन करता है।
प्रार्थनाएं, भक्ति गीत और सामूहिक स्वागत
चर्च की प्रार्थना सभा में प्रभु यीशु की महिमा का बखान किया गया। श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से भक्ति गीत गाए और प्रभु के प्रति अपनी आस्था को व्यक्त किया। इस मौके पर डॉ. नीलम होरो, डॉ. डोरा, बबली, रिंकी, नीलम, विलसन, अनुराग, अर्पण समेत बड़ी संख्या में मसीही समाज के लोग उपस्थित रहे।
अन्य चर्चों में भी मनाया गया ईस्टर पर्व
स्टेशन रोड स्थित शांति की महारानी गिरिजाघर में भी सुबह 7 बजे ईस्टर की विशेष आराधना आयोजित हुई। मुख्य अनुष्ठाता फादर संजय गिद्ध के नेतृत्व में चर्च विधि संपन्न हुई, जिसमें पल्ली पुरोहित अरविंद मुंडा और अनीस ने सहयोग किया। फादर गिद्ध ने कहा, “प्रभु यीशु का पुनरुत्थान हमारे लिए आशा और जीवन का प्रतीक है। उनकी विजय मृत्यु पर नहीं, बल्कि अंधकार पर प्रकाश की है।” वहीं सीएनआई चर्च, रेड़मा में भी सुबह 6 बजे से आराधना का आयोजन हुआ, जिसे पादरी संजीत खलखो ने संपन्न कराया। उन्होंने कहा कि जैसे प्रभु यीशु मसीह क्रूस पर मृत्यु के बाद पुनर्जीवित हुए, वैसे ही हर मसीही विश्वासी का भी पुनरुत्थान होगा।
समाज में फैली खुशियों की लहर
इन प्रार्थना सभाओं में मसीद्धान गिद्ध, अलबन खाखा, अनुकरण तिर्की, सुनील तिर्की, हीरामणि तिर्की, सन्नी जॉन समेत सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे। सभी ने प्रभु यीशु की शिक्षा को अपने जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लिया।
पुनरुत्थान का पर्व व विश्वास की नयी शुरुआत
उल्लेखनीय है कि ईस्टर संडे केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह आशा, विश्वास और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक बन चुका है। पलामू के मसीही समुदाय ने इस पर्व को सामूहिक प्रार्थना, एकता और भाईचारे की भावना से मनाकर समाज में सकारात्मक संदेश दिया।


