पटना : बिहार में एक बार फिर परीक्षा घोटाले का मामला सामने आया है। इस बार बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से आयोजित सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) की परीक्षा में बड़े पैमाने पर सॉल्वर गैंग की ओर से गड़बड़ी की गई, जिसके बाद प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने 37 लोगों को हिरासत में लिया है, जिनसे पूछताछ जारी है। वहीं, 1 दिसंबर को आयोजित परीक्षा को रद्द कर दिया गया है और 2 दिसंबर की परीक्षा को स्थगित कर दिया गया है।
आर्थिक अपराध इकाई की छापेमारी में 35 गिरफ्तार
पटना एसएसपी को सूचना मिली थी कि स्वास्थ्य समिति की परीक्षा में घपला किया जा रहा है, जिसके बाद पटना पुलिस और आर्थिक अपराध इकाई की संयुक्त टीम ने विशेष छापेमारी अभियान चलाया। इस कार्रवाई में 37 लोगों को हिरासत में लिया गया, जिनमें से 35 को गिरफ्तार किया गया है। इसके साथ ही कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भी बरामद किया गया है, जिनका इस्तेमाल परीक्षा में धांधली करने के लिए किया जा रहा था। फिलहाल, सभी आरोपितों से पूछताछ जारी है और मामले में और भी खुलासे की संभावना जताई जा रही है।
परीक्षा रद्द और 2 दिसंबर की परीक्षा स्थगित
बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति ने 1 दिसंबर की परीक्षा को रद्द कर दिया है और आज 2 दिसंबर की परीक्षा को स्थगित कर दिया गया है। आर्थिक अपराध इकाई ने इस परीक्षा में हुए घोटाले के तार सॉल्वर गैंग और माफिया तक जोड़े हैं, जिन्होंने परीक्षा केंद्रों को ही मैनेज कर लिया था। अब पुलिस की जांच से इस पूरे मामले का पर्दाफाश होने की उम्मीद जताई जा रही है।
पहले भी हुए थे पेपर लीक के मामले
यह पहला मौका नहीं है जब बिहार में पेपर लीक कांड सामने आया है। 2023 में सिपाही भर्ती परीक्षा में भी पेपर लीक का मामला सामने आया था। उस वक्त भी आर्थिक अपराध इकाई और पटना पुलिस ने कई गिरफ्तारियां की थीं। हालांकि, कई आरोपी अभी भी फरार हैं और उनकी तलाश जारी है। इसके अलावा TRE-2 परीक्षा में भी पेपर लीक होने की जानकारी सामने आई थी, जिसमें बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने परीक्षा पास की थी।
सामाजिक सुरक्षा की ओर बढ़ती चुनौतियां
बिहार में पेपर लीक के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिससे न केवल परीक्षाओं के अनियमितता पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। आर्थिक अपराध इकाई की ताजा कार्रवाई से यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और बिहार में परीक्षा प्रणाली को लेकर एक सकारात्मक बदलाव देखा जा सकेगा।
इस घटना के बाद बिहार में शिक्षा और परीक्षा की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं, और यह घटना यह साबित करती है कि माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है।
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