कोकराझार: असम के कोकराझार जिले के मघरमारी राभापाड़ा गांव के वीर सपूत और 209 कोबरा बटालियन के जवान प्राणेश्वर कोच झारखंड के बोकारो जिले के बिरहोरडेरा जंगल में नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए सर्च ऑपरेशन के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए। इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने भाकपा (माओवादी) के 5 लाख के इनामी सब-जोनल कमांडर कुंवर मांझी समेत दो नक्सलियों को मार गिराया।
कैसे हुआ ऑपरेशन, कहां शहीद हुए प्राणेश्वर कोच?
बुधवार सुबह बोकारो जिले के गोमिया थाना क्षेत्र अंतर्गत बिरहोरडेरा जंगल में सीआरपीएफ, कोबरा बटालियन और जिला पुलिस की संयुक्त टीम ने एक सर्च ऑपरेशन शुरू किया। इसी दौरान नक्सलियों ने घात लगाकर हमला कर दिया। जवाबी फायरिंग में सुरक्षाबलों ने दो नक्सलियों को मार गिराया, लेकिन ऑपरेशन के दौरान प्रणेश्वर कोच गंभीर रूप से घायल हो गए।
उन्हें तत्काल एयरलिफ्ट कर रांची ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। उनका पार्थिव शरीर रांची के धुर्वा स्थित 133वीं बटालियन मुख्यालय लाया गया, जहां जवानों और अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
कोकराझार में शोक की लहर, गांव में पसरा मातम
शहीद की खबर जैसे ही असम के कोकराझार स्थित उनके गांव पहुंची, पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। उनकी पत्नी, चार वर्षीय बेटा, माता-पिता और भाई-बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पिता ने बताया कि “वो जल्द लौटकर मां का इलाज करवाने वाला था।” वहीं भाई ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मेरा दोस्त जैसा भाई चला गया।”
स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। जल्द ही उनका पार्थिव शरीर गांव लाया जाएगा और राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
2018 में जॉइन किया था CRPF, नक्सल इलाकों में लगातार रहा सक्रिय
प्रणेश्वर कोच ने वर्ष 2018 में सीआरपीएफ जॉइन किया था और तभी से लगातार नक्सल प्रभावित इलाकों में डटे रहे। कोबरा बटालियन, नक्सल विरोधी अभियानों में सबसे अग्रणी यूनिट मानी जाती है। उनकी शहादत को देश कभी नहीं भूल पाएगा।
वरिष्ठ अधिकारियों ने दी श्रद्धांजलि
झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार ने शहीद जवान को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर मुख्य सचिव अलका तिवारी भी उपस्थित रहीं।

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने भी वीर जवान की शहादत पर शोक व्यक्त किया और उन्हें नमन किया।
झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि खुफिया सूचना मिलने के बाद ऑपरेशन शुरू किया गया था। बिरहोरडेरा जंगल, जहां यह मुठभेड़ हुई, वही इलाका है जो लुगु पहाड़ी की सीमा में आता है। इसी क्षेत्र में अप्रैल 2025 में भी एक करोड़ के इनामी नक्सली समेत आठ माओवादी मारे गए थे।
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