रांची : अंतर्राष्ट्रीय डिस्लेक्सिया जागरूकता माह के अवसर पर डिस्लेक्सिया के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से रविवार को रांची स्थित राज भवन को विशेष रूप से लाल रोशनी में सजाया गया। राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार के निर्देश पर यह पहल की गई, ताकि इस विशिष्ट चुनौती का सामना कर रहे लोगों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाई जा सके और उन्हें सहयोग का एहसास दिलाया जा सके। इस ‘गो रेड’ थीम के तहत राज भवन का रोशन होना, डिस्लेक्सिया को समझने और इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से अपनाने की प्रेरणा देता है।
समाज में समझ विकसित करना अति आवश्यक : राज्यपाल
राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार का संदेश इस अवसर पर खास रहा। उन्होंने कहा कि “डिस्लेक्सिया जैसी चुनौतियों को लेकर समाज में समझ विकसित करना अति आवश्यक है। इस तरह की पहल के माध्यम से हम समाज को यह संदेश देना चाहते हैं कि डिस्लेक्सिया से प्रभावित लोग हमारे सहयोग और समर्थन के पात्र हैं, और हम सभी को उनके प्रति संवेदनशील होना चाहिए।”
क्या है डिस्लेक्सिया
डिस्लेक्सिया एक प्रकार की न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जो विशेषकर बच्चों में पढ़ने, लिखने और शब्दों को पहचानने में कठिनाई उत्पन्न करती है। इसे सीखने संबंधी विकार के रूप में भी जाना जाता है, जो भाषा के प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) में बाधा डालता है। डिस्लेक्सिया से प्रभावित व्यक्ति अक्सर अक्षरों, शब्दों और ध्वनियों को सही ढंग से समझने में कठिनाई महसूस करते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई और लिखाई पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह विकार बच्चों के स्कूल जीवन और उनके आत्म-विश्वास को भी प्रभावित करता है। हालांकि, सही दृष्टिकोण, सहयोग और विशेष शिक्षण पद्धतियों की सहायता से डिस्लेक्सिया से प्रभावित व्यक्ति समाज में सफल हो सकते हैं।
डिस्लेक्सिया के लक्षण और प्रभाव
डिस्लेक्सिया से प्रभावित बच्चों में कई प्रकार के लक्षण देखने को मिलते हैं। उन्हें शब्दों को पढ़ने में कठिनाई होती है। अक्षरों की पहचान, ध्वनियों को जोड़ना और शब्दों को समझने में समस्या होती है। लेखन में भी असमंजस होता है। शब्दों की बनावट और वर्तनी में त्रुटि का होती है। ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है। इससे पढ़ाई के दौरान ध्यान भटकता और पाठ के प्रति उत्सुकता में कमी आती है। संख्यात्मक गणना या संख्याओं को समझने में भी कठिनाई होती है। ये लक्षण बच्चे की शिक्षा और आत्म-विश्वास पर असर डाल सकते हैं। परिवार, शिक्षक और समाज की ओर से उचित सहयोग और संवेदनशीलता डिस्लेक्सिया प्रभावित लोगों को सामान्य जीवन जीने और अपने लक्ष्यों को हासिल करने में सक्षम बनाती है।
डिस्लेक्सिया के कारण और प्रसार
डिस्लेक्सिया के सटीक कारणों का पता अभी तक पूरी तरह से नहीं लगाया जा सका है, लेकिन यह मुख्य रूप से मस्तिष्क में भाषा प्रसंस्करण की जटिलताओं के कारण होता है। कई शोध बताते हैं कि अनुवांशिक कारक भी इस स्थिति के विकास में भूमिका निभाते हैं। विश्व स्तर पर, डिस्लेक्सिया से हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं, जिसमें से लगभग 10-15% बच्चों में यह विकार होता है। भारत में भी बड़ी संख्या में बच्चे और युवा डिस्लेक्सिया की चुनौती का सामना कर रहे हैं।
जागरूकता का महत्व
डिस्लेक्सिया एक ऐसा विकार है, जिसे जागरूकता, समझ और समर्थन के माध्यम से आसानी से संभाला जा सकता है। यह स्थिति व्यक्तिगत क्षमता को प्रभावित करने के बावजूद नकारात्मकता या हीनभावना का कारण नहीं बननी चाहिए। इसके लिए शिक्षकों, अभिभावकों और समाज को एक सकारात्मक और सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। ‘अंतर्राष्ट्रीय डिस्लेक्सिया जागरूकता माह’ का आयोजन समाज में इस स्थिति के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने और लोगों को इसके बारे में जागरूक करने का अवसर प्रदान करता है।
‘गो रेड’ थीम : एक संदेश
रांची के राज भवन को लाल रोशनी में सजाकर ‘गो रेड’ थीम का पालन करना, डिस्लेक्सिया प्रभावित लोगों के प्रति जागरूकता और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रतीकात्मक कदम है। यह पहल समाज में संदेश देती है कि डिस्लेक्सिया से प्रभावित लोग भी अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं, यदि उन्हें उचित समर्थन, सहानुभूति और समझ मिले।
राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार का यह कदम न केवल जागरूकता का प्रतीक है, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा भी है कि हर व्यक्ति को उसके सीखने की क्षमता के आधार पर समर्थन दिया जाना चाहिए, ताकि वह अपने जीवन में सफल हो सके।
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