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प्रयागराज महाकुंभ 2025 के लिए RSS का विशेष अभियान, काशी से 40,000 थालियां पहुंची, पर्यावरण संरक्षण पर जोर

by Rakesh Pandey
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प्रयागराज : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में 2025 में होने वाले महाकुंभ के लिए तैयारियां अपने चरम पर हैं और इस बार महाकुंभ में न केवल धार्मिक अनुष्ठान बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने महाकुंभ मेला क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है। RSS के पर्यावरण विंग द्वारा चलाए गए इस अभियान में काशी से लगभग 40,000 थालियां और 50,000 कपड़े के थैले जुटाए गए हैं, जो महाकुंभ में चलने वाले अन्नक्षेत्रों में वितरित किए जाएंगे।

आरएसएस का पर्यावरणीय दृष्टिकोण

महाकुंभ मेला के आयोजन में इस बार धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलुओं को समाहित किया गया है। RSS के कार्यकर्ताओं ने इस अभियान के तहत काशी (वाराणसी) के हर घर से एक थाली और एक कपड़े का थैला एकत्रित किया है। इस पहल का उद्देश्य न केवल पर्यावरण की सुरक्षा करना है, बल्कि धार्मिक कार्यक्रमों में भी सफाई और स्वच्छता को प्राथमिकता देना है। RSS के पर्यावरण विंग ने इस मुहिम को एक नई दिशा दी है, जिससे लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी।

40,000 थालियां जुटाई गईं

RSS के डॉ. मनोज ने बताया कि उनकी टीमों ने काशी में घर-घर जाकर लगभग 40,000 थालियां इकट्ठा की हैं, जिन्हें महाकुंभ मेले में विभिन्न शिविरों के भंडारे तक पहुंचाया गया है। इस प्रयास का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि महाकुंभ में चलने वाले अन्नक्षेत्रों में थाली का इस्तेमाल किया जाए, जो पर्यावरण के लिए सुरक्षित हो। इस अभियान के तहत काशीवासियों ने भारी संख्या में इस पहल का समर्थन किया, और अपने घरों से थालियां इकट्ठा करने में भाग लिया।

प्लास्टिक मुक्त कुंभ की दिशा में एक कदम

महाकुंभ मेला, जो कि हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है, इस बार पूरी तरह से प्लास्टिक फ्री रखने का लक्ष्य रखा गया है। योगी सरकार ने भी इस दिशा में कई कदम उठाए हैं और राज्य प्रशासन के साथ मिलकर महाकुंभ के आयोजन को स्वच्छ और सुरक्षित बनाने के लिए उपाय किए जा रहे हैं। प्लास्टिक के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ इस बार पर्यावरण संरक्षण को मुख्य उद्देश्य बनाया गया है। RSS द्वारा जुटाए गए कपड़े के झोलों का उपयोग भी इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए किया जा रहा है, जिससे प्लास्टिक के थैलों का उपयोग कम किया जा सके।

धर्म और पर्यावरण का संगम

RSS के कृष्ण मोहन ने इस अभियान के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह पहल धार्मिक आयोजनों के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य यह है कि इस अभियान के माध्यम से धर्म के साथ-साथ पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सके। काशीवासियों ने इसमें दिल से भाग लिया, और हर घर से थाली और कपड़े का थैला एकत्रित किया’।

इस अभियान से यह स्पष्ट होता है कि इस बार महाकुंभ मेला केवल धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। RSS की यह पहल दर्शाती है कि धार्मिक आयोजनों में पर्यावरणीय पहलुओं को भी समाहित किया जा सकता है और इससे समाज में जागरूकता भी फैल सकती है।

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