Ranchi (Jharkhand) : रांची के सदर अस्पताल की ओपीडी व्यवस्था भगवान भरोसे है। यहां ओपीडी के समय में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) की बेखौफ आवाजाही मरीजों के लिए परेशानी बनकर खड़ी है। नियमों के मुताबिक ओपीडी परिसर में एमआर की एंट्री पर स्पष्ट रूप से रोक है। इसके बावजूद एमआर अस्पताल परिसर में धड़ल्ले से घूमते नजर आ रहे हैं।
हैरानी की बात यह है कि ये लोग सीधे डॉक्टरों के चैंबर तक भी पहुंच जा रहे हैं। लेकिन न तो इन्हें रोका जा रहा है और न ही इनसे कोई पूछताछ की जा रही है। यहीं वजह है कि ये लोग बिंदास डॉक्टरों के चैंबर के बाहर घूमते नजर आ रहे हैं।
हर दिन ओपीडी में 1500 मरीज
हर दिन सदर अस्पताल की ओपीडी में औसतन 1,500 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। मरीज लंबी लाइन में खड़े रहते हैं, डॉक्टरों से मिलने के लिए घंटों इंतजार करते हैं। दूसरी तरफ एमआर बिंदास डॉक्टरों से मिल रहे हैं, बातचीत कर रहे हैं और अपने कंपनी की दवाओं का प्रचार कर रहे हैं। यह स्थिति न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान पैदा कर रही है, बल्कि मरीजों की गोपनीयता का भी उल्लंघन हो रहा है। कुछ एमआर मरीजों की पर्चियों की फोटो तक खींच रहे हैं, ताकि यह जान सकें कि डॉक्टर ने कौन सी दवा लिखी है। साथ ही ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी कंपनी की दवा कितनी प्रेस्क्राइब हो रही है।
हर फ्लोर पर मैनेजर है तैनात
अस्पताल प्रशासन ने हर फ्लोर पर एक-एक मैनेजर की नियुक्ति की है, जिनका काम व्यवस्था पर नजर रखना है। बावजूद इसके एमआर की यह आवाजाही प्रशासन की लापरवाही और कमजोर निगरानी को उजागर करती है। यह भी देखा गया है कि कुछ डॉक्टर एमआर को चुपचाप चैंबर में बुला लेते हैं, जिससे उनकी ओपीडी ड्यूटी पर भी असर पड़ता है। इससे मरीजों को इंतजार करना पड़ता है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन इस मुद्दे पर निर्देश जारी कर चुका है कि ओपीडी समय में एमआर की एंट्री पूरी तरह से प्रतिबंधित है। लेकिन धरातल पर इन आदेशों की खुलेआम अनदेखी हो रही है। अस्पताल में तैनात गार्ड्स भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
हॉस्पिटल में हर जगह सीसीटीवी
हॉस्पिटल प्रशासन को इस पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है। हर फ्लोर पर सीसीटीवी की निगरानी की जा रही है। जिससे एमआर की पहचान कर रोक लगाई जा सकती है। एमआर की एंट्री को पूरी तरह से रोका जा सकता है। फिर भी इसकी अनदेखी की जा रही है। जबकि पूरे अस्पताल की व्यवस्था देखने के लिए भी हॉस्पिटल मैनेजर को रखा गया है। लेकिन उन्होंने भी आंखों पर पट्टी बांध रखा है। जिसका खामियाजा इलाज के लिए आने वाले मरीज भुगत रहे हैं।